वैवाहिक जीवन के पहले वर्ष से जुड़े नियम (सौ.सोशल मीडिया)
Newly Married Tips: 18 नवंबर से शादियों का सीजन शुरू हो चुका है। वेडिंग प्लानर्स, ड्रेस डिजाइनर, डेकोरेटर और बैंड-बाजे की बुकिंग जोर-शोर से चल रही है। लेकिन, ज्योतिष गणना के अनुसार, 15 दिसंबर के बाद इस वर्ष का शुभ मुहूर्त समाप्त हो जाएगा।
16 दिसंबर से खरमास शुरू होने के कारण 14 जनवरी तक शादियां नहीं होंगी। ऐसे में जो नई दुल्हनें गृहस्थ जीवन में कदम रख चुकी हैं, उनके लिए वैवाहिक जीवन का पहला वर्ष बेहद खास माना जाता है।
धर्म और परंपरा में इसे समायोजन और सीख का समय कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। जानिए वैवाहिक जीवन के पहले वर्ष से जुड़े नियम।
धार्मिक एवं हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, विवाह के एक वर्ष तक बाल न कटवाना शुभ माना गया है। कहते हैं कि ऐसा करने से सौभाग्य बढ़ता है और गृहस्थ जीवन में स्थिरता बनी रहती है। यह परंपरा पति की दीर्घायु से भी जुड़ी मानी जाती है।
कहा जाता है कि, विवाह में पहने गए कपड़े शुभ ऊर्जा से भरे माने जाते हैं। इन्हें एक वर्ष तक सुरक्षित रखकर रखना परंपरा का हिस्सा है। इन्हें दान या त्याग करने से पहले वर्ष पूरा होने का इंतजार किया जाता है।
धार्मिक परंपराएं बताती हैं कि विवाह का पहला वर्ष जीवनभर की नींव रखता है। इन सरल नियमों का पालन करने से घर में शांति, सौभाग्य और प्रेम बना रहता है, और नवविवाहित दंपति का जीवन शुभ मार्ग पर आगे बढ़ता है।
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शादी के बाद पहले वर्ष में किसी भी मृत्यु के भोजन या तेरहवीं संस्कार में शामिल होना वर्जित माना गया है। इससे नवविवाहिता के सौभाग्य पर असर पड़ता है और घर के सकारात्मक वातावरण में कमी आ सकती है।
शास्त्रों के अनुसार, विवाह के समय दी गई सिंदूरदानी को शुभ माना जाता है। पहले वर्ष में इसी सिंदूर का प्रयोग करना वैवाहिक जीवन की रक्षा और दांपत्य सुख बढ़ाने वाला माना गया है।