गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मदिन 2 बार (सौजन्यः सोशल मीडीया)
नवभारत डेस्कः गुरु गोविंद सिंह सिखों के 10वें गुरु थे। हर साल सिख समुदाय के साथ-साथ उनकी विचारधारा को मानने वाले अन्य लोग भी उनकी जयंती काफी हर्षोल्लास से मनाते हैं। गुरु गोविंद सिंह की जयंती के अवसर पर देश भर के गुरुद्वारे सज उठते हैं। इस दौरान गुरुद्वारों की भव्यता और खूबसूरती देखते ही बनती है। इस दिन गुरुद्वारों में लंगर भी बांटे जाते हैं। इस दिन काफी खुशमिजाज माहौल रहता है।
गुरु गोविंद सिंह ने सिख धर्म को मजबूती प्रदान की, साथ ही लोगों को सच्चाई और धर्म के रास्ते पर चलने के लिए भी प्रेरित किया था। सिख समुदाय में गुरु गोविंद सिंह की जयंती का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है जिसे प्रकाश पर्व भी कहा जाता है। इस मौके पर उनके अनुयायी उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। गुरु गोविंद सिंह ने सिख धर्म को नई दिशा दी। उन्होंने खालसा पंथ को स्थापित किया। साथ ही पांच ककार को अनिवार्य बनाने का कार्य किया। उन्होंने लोगों को धार्मिक सहिष्णुता और आत्मनिर्भरता का अहम संदेश दिया।
आपको बता दें कि गुरु गोविंद सिंह का जन्मदिन साल 2025 में 2 बार मनाया जाएगा। जी हां, क्योंकि पौष शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि इस साल 2 दिन पड़ रही है। 6 जनवरी 2025 में गुरु गोविंद सिंह जी की 358वीं जन्म वर्षगांठ होगी तो वहीं 27 दिसंबर को उनकी 359वीं जन्म वर्षगांठ मनाई जाएगी। जूलियन कैलेंडर के अनुसार गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर, 1666 को बिहार के पटना में हुआ था। पंचांग के अनुसार उनके जन्म के समय पौष शुक्ल सप्तमी थी। इसलिए ही इस तिथि पर हर साल उनकी जयंती मनाई जाती है। इस साल का यह साथ अद्भुत और अविस्मरणीय मेल है।
जैसे कि बताया गया है हर साल पौष महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती मनाई जाती है। साल 2025 में पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 5 जनवरी को रात 8 बजकर 15 मिनट पर होगी। वहीं इस तिथि की समाप्ति 6 जनवरी की शाम 6 बजकर 23 मिनट पर होगी। ऐसे में नानकशाही कैलेंडर के अनुसार, इस साल गुरु गोविंद सिंह की जयंती 6 जनवरी को मनाई जाएगी। लेकिन जयंती की शुरुआत 5 जनवरी को होगी, यानी प्रकाश पर्व 2 दिन मनाया जाएगा।
सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह जी का इतिहास सभी के लिए बहुत ही प्रेरणादायी है। 22 दिसंबर 1666 को पटना में गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म हुआ था। वहीं बताया जाता है कि हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, उनका जन्म विक्रम संवत 1723 में हुआ। यह दिन पौष माह के सप्तमी तिथि का था। उनके बचपन का नाम गोविंद राय था। बता दें कि गुरु गोविंद सिंह महान कवि, योद्धा और कुशल लेखक थे। इतना ही नहीं उन्हें संगीत की भी बहुत अच्छी परख थी। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी लोगों की सेवा की और सच के रास्ते पर चले। उनकी मृत्यु 7 अक्टूबर 1708 को महाराष्ट्र के नांदेड़ में हुई थी ऐसी जानकारी है।
गुरु गोविंद सिंह जी ने मानवता की सेवा को अपना मूल उद्देश्य माना। उनका मानना था कि अगर आप अपना जीवन लोगों की खुशी के लिए जीते हैं और समाज की सेवा के लिए कई बलिदान देते हैं तो यह आपके जीवन का सही उपयोग है। गुरु गोविंद सिंह का मानना था कि हर कोई समान है। हमें हर व्यक्ति को एक ही नजर से देखना चाहिए, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या पंथ के हों। गुरु गोविंद सिंह सभी धर्मों का अत्यंत सम्मान करते थे और मानते थे कि मतभेद केवल इंसानों द्वारा ही पैदा किए जाते हैं।
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गुरु गोविंद सिंह अपने आप को भगवान का सेवक मानते थे। उन्हें यह स्वीकार करने में कभी शर्म नहीं आई कि उन्हें गुरु का दर्जा उन लोगों के कारण मिला जो उन पर विश्वास करते थे। गुरु गोविंद सिंह नम्रता पर विश्वास रखते थे, वह कहते थे कि हमें अपनी बोली मीठी रखनी चाहिए। गुरु गोविंद सिंह का मानना था कि हमें एक आदर्श इंसान बनना चाहिए। अपराध से अपने आप को दूर रखना चाहिए। अपनी कमाई से दशांश निकालें, यानी दसवां हिस्सा दान करें। गुरु गोविंद सिंह का मानना था कि हमें अपनी वाणी को मधुर रखना चाहिए। दूसरों की निंदा न करें या दूसरों के बारे में कड़वी बातें न करें। किसी के बारे में गलत बयान न दें, यह सब उनकी सीख थी।