जानिए डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने का मतलब (सौ.सोशल मीडिया)
Chhath Puja: लोक आस्था के महापर्व छठ की तैयारियां शुरू की जा चुकी है। इस त्योहार को लेकर लोगों में खास उत्साह एवं उमंग देखा जाता है। खासतौर पर,उतर भारत में बसे भारतीयों में है। छठ पूजा का महापर्व छठी मैया और भगवान सूर्य को समर्पित पर्व है। जैसा कि आप जानते है कि ये महापर्व साल में दो बार चैत्र और कार्तिक मास में मनाया जाता है।
हिंदू मान्यता के अनुसार, छठ पूजा का व्रत संतान के सुखी जीवन और लंबी आयु की कामना करते हुए रखा जाता है। ये महापर्व चार दिनों तक चलता है।
छठ पूजा के महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर इस महापर्व का समापन होता है, लेकिन छठ के महापर्व में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है। आइए जानते हैं-
इस साल छठ पूजा 25 अक्टूबर से शुरू हो रही है। ये महापर्व 28 अक्टूबर को खत्म होगा. पहले दिन 25 अक्टूबर को नहाय-खाय होगा। दूसरे दिन 26 अक्टूबर को खरना होगा।
तीसरे दिन 27 अक्टूबर शाम के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। अंतिम यानी चौथे दिन 28 अक्टूबर को इस महापर्व में सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद छठ पूजा का समापन होगा।
जिस तरह सूर्य डूबता और फिर उगता है, उसी तरह जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। यही वजह है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ के महापर्व में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देना अंत के साथ ही नई शुरुआत का प्रतीक कहा जाता है।
डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते समय इसकी रोशनी के प्रभाव से त्वचा रोग नहीं होते हैं। साथ ही, कई समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है।
जिस तरह सूर्य प्रतिदिन डूबने के बाद फिर से उदय होता है। उसी तरह जीवन में सुख या दुख स्थिर नहीं रहता है। जीवन में सुख-दुख आता जाता रहता है।
छठ एकमात्र महापर्व है, जिसमें डूबते सूर्य को प्रणाम किया जाता है। इसके बाद उसको अर्घ्य दिया जाता है। हिंदू धर्म में अन्य किसी त्योहार में डूबते सूर्य की पूजा नहीं होती है। अगर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शाम के समय भगवान सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं, जोकि सूर्य की अंतिम किरण है। शाम की पूजा में सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया जाता है।
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उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना बहुत जरूरी माना जाता है। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही छठ महापर्व का समापन होता है। धार्मिक मान्यता है अनुसार, सूर्योदय के समय प्रात:काल में सूर्य देव अपनी पत्नी ऊषा के साथ होते हैंं, जो कि सूर्य की पहली किरण है। छठ पूजा में उदयगामी अर्घ्य देने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।