नवरात्रि में हवन कराना क्यों इतना शुभ (सौ.सोशल मीडिया)
Navratri hawan significance: शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक हैं। जिसकी शुरुआत हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हो जाती है। इस वर्ष भी यह पावन पर्व 22 सितंबर से शुरू हो चुका है, जिसमें आदि शक्ति मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। इन नौ दिनों के दौरान मां दुर्गा की पूजा, व्रत और भक्ति का विशेष महत्व है, लेकिन इस पूरे अनुष्ठान को हवन के बिना अधूरा माना जाता है।
खासतौर पर अष्टमी या नवमी तिथि पर किया जाने वाला हवन का अपना अलग ही महत्व होता हैं। इन शुभ तिथियों पर हवन करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि आती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि नवरात्रि में हवन कराना क्यों इतना शुभ माना जाता है।
नवरात्रि में हवन कराना बड़ा शुभ माना गया है। नवरात्रि में मां दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हवन करवाना बहुत जरूरी है।
हिंदू धर्म में अग्नि को देवताओं का मुख माना गया है। ऐसी मान्यता है कि हवन कुंड में समर्पित की गई आहुतियां सीधे देवी-देवताओं तक पहुंचती हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हवन अनिवार्य है।
शास्त्रों के अनुसार, नौ दिनों की पूजा में यदि कोई भूल या त्रुटि हो गई हो, तो हवन के माध्यम से देवी से क्षमा याचना की जाती है, जिससे पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
हवन में विशेष मंत्रों के साथ आहुति देने से एक विशिष्ट ऊर्जा उत्पन्न होती हैं। ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा इससे प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
नवरात्रि में हवन कराने से नकारात्मक शक्ति दूर होती है। हवन की पवित्र अग्नि और मंत्रों के उच्चारण से उत्पन्न शक्ति घर और जीवन से नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और भय का नाश करती है, जिससे परिवार में शांति और प्रेम का वास होता है। इसलिए सनातन धर्म में हवन कराना अनिवार्य बताया गया है।
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ज्योतिषयों के अनुसार, नवरात्रि में हवन करने के लिए अष्टमी (दुर्गाष्टमी) और महानवमी का दिन सबसे शुभ माना जाता है। कई भक्त महाष्टमी के दिन हवन और कन्या पूजन करते हैं, तो कई नवमी के दिन इन अनुष्ठानों को पूरा करके व्रत का पारण करते है। शास्त्रों के अनुसार, कन्या पूजन और हवन के बाद ही नवरात्रि का व्रत पूर्ण माना जाता है।