जय बोलते समय हाथ ऊपर क्यों उठाते है (सौ.सोशल मीडिया)
Bhagwan Ki Jay Ka Arth: भारतीय संस्कृति में हाथ जोड़कर अभिवादन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। जब भी किसी से मिलते हैं या भगवान की जय बोलते है तब हम सब हाथ जोड़कर नमस्कार करते है। हाथ जोड़कर प्रणाम करने का शास्त्रों में भी विशेष महत्व बताया गया है।
शास्त्रों में भगवान की जय बोलते समय दोनों हाथ ऊपर उठाने का मतलब पूर्ण समर्पण, भक्ति, आनंद, आभार और विजय का प्रतीक माना जाता है, जिससे अहंकार त्यागकर खुद को ईश्वर को सौंपते हैं, जैसे कोई डूबता हुआ व्यक्ति बचाने के लिए हाथ उठाता है। कहा जाता है कि, यह परम चेतना से जुड़ने और सभी नकारात्मकता को मिटाने का भी एक तरीका है। ऐसे में आइए जानें इस बारे में-
भगवान की जय बोलते समय हाथ ऊपर उठाने का मतलब है कि भक्त अपना सब कुछ, अपना अहंकार, ईश्वर के चरणों में समर्पित कर रहा है, यह कहते हुए कि “मैं आपका हूँ” और “मुझे आपकी ज़रूरत है”।
यह जीत की खुशी और ईश्वर के प्रति अपने उत्साह को व्यक्त करने का भी एक तरीका है, जैसे कोई जीत के बाद हाथ उठाता है।
कहते है हाथ ऊपर उठाने का मतलब ये भी है कि ईश्वर पर पूरी तरह से निर्भर होने और उनसे सहायता या सुरक्षा मांगने का भाव है, जैसे कोई ‘आर्त पुकार’ करता है।
हाथ ऊपर उठाने का मतलब तन, मन और वचन से होने वाले पापों और विकारों को मिटाने और आत्मा की शुद्धि के लिए किया जाता है, जिससे मन शांत और इंद्रियां नियंत्रण में रहती है।
यह माना जाता है कि भगवान की जय बोलते समय हाथ ऊपर उठाने से ऊर्जा का संचार होता है और भक्त परम चेतना से जुड़ पाता है, जैसे कलश में समस्त सद्गुणों के प्रवेश की मुद्रा।
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संक्षेप में,हम यह कह सकते है कि यह एक गहरा आध्यात्मिक भाव है जो भक्त को ईश्वर से जोड़ता है और उसे मानसिक शांति व सकारात्मकता प्रदान करता है।