चातुर्मास (सौ.सोशल मीडिया)
धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से चातुर्मास हिन्दू धर्म में खास महत्व रखता है। हिन्दू धर्म में चातुर्मास एक विशेष अवधि है, जो 4 महीने की होती है। हिंदू धर्म में चातुर्मास को चौमासा के नाम भी जाना जाता है। आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, इस साल 2025 में चातुर्मास 6 जुलाई से शुरू होगा और 1 नवंबर को समाप्त होगा।
आपको बता दें, चातुर्मास हर साल आषाढ़ शुक्ल एकादशी से शुरू होकर कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी प्रबोधनी एकादशी तक रहती है। कहा जाता है इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं और सृष्टि का सारा कार्यभार भोलेनाथ संभालते हैं। ऐसे में पूरे चार 4 माह तक कोई मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। आइए जानते हैं कि चातुर्मास में क्या-क्या नहीं करना चाहिए ?
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, इस साल 2025 में चातुर्मास 6 जुलाई से शुरू होगा और 1 नवंबर को चातुर्मास की समाप्ति होगी। चातुर्मास देवशयनी एकादशी से शुरू होता है और देवउठनी एकादशी पर खत्म होता है। ऐसे में 2 नवंबर को तुलसी विवाह के दिन से सभी मांगलिक और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाएगी।
ज्योतिषयों के अनुसार,चातुर्मास में भगवान विष्णु के निद्रावस्था में रहने के कारण मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। इस समय शादी-विवाह के मुहूर्त नहीं होते हैं। कार्तिक माह मे देवउठनी एकादशी पर प्रभु के जागने के बाद ही मांगलिक कार्य शुरू होते हैं।
चातुर्मास के चार माह के दौरान भूमि पूजन, मुंडन संस्कार, तिलक समारोह, गृह प्रवेश, नामकरण जैसे संस्कार भी नहीं होते हैं। इस समय मांगलिक कार्य और शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।
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चातुर्मास के चार माह के दौरान कोई नया काम शुरू नहीं करना चाहिए। इस समय दुकान खोलना, कारोबार शुरू करना शुभ नहीं होता है और उसके अच्छे परिणाम नहीं मिलते हैं।
चातुर्मास के चार माह के दौरान सात्विक भोजन करना चाहिए और तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इस समय मांस, मछली, अंडा, प्याज और लहसुन नहीं खाना चाहिए। इसके साथ ही दही, मूली और साग खाने की भी मनाही होती है।
चातुर्मास के चार माह के दौरान झूठ बोलने, छल कपट का व्यवहार करने से बचना चाहिए। इस समय नशा और अन्य बु