योगिनी एकादशी(सौ.सोशल मीडिया)
योगिनी एकादशी हर साल आषाढ़ महीने में एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह व्रत आज 21 जून, 2025 को रखा जा रहा है। हिंदू मान्यता के अनुसार, एकादशी का व्रत बहुत पवित्र और नियमों से भरा होता है, इसलिए अगर गलती से यह टूट जाए, तो मन में संशय और दुख आना स्वाभाविक है।
हालांकि, हिंदू धर्म ग्रथों में ऐसी स्थितियों के लिए प्रायश्चित के लिए कुछ सरल उपाय बताए गए हैं, जिनसे व्रत का पूरा फल मिल सकता है या उसके अशुभ प्रभाव से बच भी सकते हैं।
जैसे ही आपको पता चले कि आपका व्रत टूट गया है, तो तुरंत भगवान विष्णु यानी अपने इष्टदेव के समक्ष यानी सामने हाथ जोड़कर क्षमा प्रार्थना करें। सच्चे मन से अपनी भूल स्वीकार करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे आपकी मजबूरी या अनजाने में हुई गलती को क्षमा करें।
ज्योतिष बताते है कि अगर गलती से आपका व्रत टूट गया है तो स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें तुलसी दल अर्पित करें। खुद भी एक या दो तुलसी दल ग्रहण करें।
क्योंकि, तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और इसे ग्रहण करने से पापों का शमन होता है। तुलसी के पत्ते एकादशी पर तोड़े नहीं जाते, इसलिए यदि पहले से रखे हों तो उनका प्रयोग करें। ऐसे में आइए जानते है अगर गलती से टूट जाए योगिनी एकादशी का व्रत क्या उपाय करें।
ज्योतिषयों का मानना है कि, अगर गलती से टूट जाए योगिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के द्वादशाक्षर मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का यथाशक्ति जाप करें। रुद्राक्ष की माला से कम से कम 11 माला जाप करने का प्रयास करें। आपको बता दें, यह मंत्र अत्यंत शक्तिशाली है और भगवान विष्णु को शीघ्र प्रसन्न करता है। आप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा से पहले जान लें ये बातें, क्या हैं नियम और किन बातों का रहे ध्यान
अपनी सामर्थ्य के अनुसार इस दिन दान करें। गाय को हरा चारा या आटे की लोई खिलाएं। किसी ब्राह्मण, गरीब या ज़रूरतमंद व्यक्ति को भोजन, पीले वस्त्र, फल, मिठाई, चने की दाल या हल्दी का दान करें। दान करने से पापों का शमन होता है।
यदि यह संभव हो तो, आप अगले साल आने वाली योगिनी एकादशी का व्रत पूरी निष्ठा से करने का संकल्प ले सकते है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यदि एकादशी का व्रत खंडित हो जाता है, तो आप अगले साल आने वाली योगिनी एकादशी का व्रत करने का संकल्प ले सकते है। यह प्रायश्चित का एक बड़ा माध्यम माना जाता है।
भले ही आपका व्रत टूट गया हो, दिनभर सात्विक आहार का सेवन करें। मन को शुद्ध रखें. किसी की निंदा न करें, क्रोध न करें और बुरे विचारों से दूर रहें।
यदि आपने दिन में कुछ खा लिया था, लेकिन अब आप व्रत जारी नहीं रख सकते, तो भी अगले दिन सही समय पर पारण करें। पारण से पहले भगवान विष्णु की पूजा करें, उन्हें भोग लगाएं और फिर स्वयं प्रसाद ग्रहण कर सात्विक भोजन से व्रत खोलें।
कहते है भगवान भाव के भूखे होते हैं। अगर व्रत अनजाने में या किसी मजबूरी में टूटा है, और आपका मन शुद्ध है तथा आप प्रायश्चित करना चाहते हैं, तो भगवान निश्चित रूप से आपको क्षमा करेंगे और आपकी भक्ति को स्वीकार करेंगे।