जगन्नाथ रथ यात्रा (सौ. डिजाइन फोटो)
ओडिशा के विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी मंदिर में इन दिनों 27 जून को होने वाली रथयात्रा के लिए तैयारियों का दौर जारी है। पिछले साल की तरह इस बार की रथयात्रा भी भव्य होने वाली है। रथयात्रा के लिए जहां पर रथ बनकर तैयार हो गए है वहीं पर अन्य तैयारियां चल रही है। हर साल आयोजित होने वाली रथयात्रा में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते है सभी रथयात्रा में शामिल होकर रथ खींचते है।
क्या आपने कभी सोचा है आखिर किन लोगों को रथ खींचने का मौका मिलता है। अगर रथ खींच नहीं पाएं तो, इसे लेकर कई सवालों के जवाबों पर बात करेंगे जो इस प्रकार है…
जगन्नाथ मंदिर की प्रसिद्ध रथयात्रा का महत्व पूरे भारत में है तो वहीं पर इस यात्रा से जुड़े कई तथ्य भी सामने आते है। रथयात्रा के दौरान तीन रथ एक साथ चलते है। सबसे आगे बलभद्र का रथ होता है, जिसका नाम तालध्वज है। इसके बाद सुभद्रा का रथ दर्पदलन चलता है। सबसे पीछे के रथ नंदीघोष में भगवान जगन्नाथ सवार होते हैं। जहां पर जगन्नाथ मंदिर से यात्रा शुरू होगी और वह करीब 3 किमी दूर स्थित गुंडीचा माता के मंदिर जाते हैं, जहां भगवान जगन्नाथ 10 दिन विश्राम करते हैं। इस दौरान रथयात्रा की शुरुआत में ही लोग बड़ी संख्या में पहुंचते है।
बताया जाता है कि रथयात्रा में रथ का जिस तरह से महत्व होता है उतना ही यात्रा में रस्सियों का महत्व होता है। रस्सियों का रथ की तरह ही नाम दिया गया है। भगवान जगन्नाथ के 16 पहियों वाले नंदीघोष रथ की रस्सी को शंखाचुड़ा नाड़ी के नाम से पुकारा जाता है। इसके साथ ही 14 पहियों वाले बलभद्र के रथ की रस्सी को बासुकी कहा जाता है। बीच में चलने वाले 12 पहियों के रथ को स्वर्णचूड़ा नाड़ी के नाम की रस्सी से खींचा जाता है।
ये भी पढ़ें- भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में कहां से आया श्रीकृष्ण का धड़कता दिल, जानिए सबसे बड़ा रहस्य
यहां पर जगन्नाथ यात्रा में शामिल होने आए सभी लोगों को रथ खींचने का मौका मिलता है। जो व्यक्ति आस्था के साथ रथयात्रा में शामिल होता है उन्हें रथ खींचने का मौका मिलता है। चाहें वह किसी भी पंथ का हो, जाति का हो, धर्म का हो। जहां पर यात्रा में शामिल होने के बाद रथ खींचता है वह जीवन-मरण के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है। कहते हैं कि, यात्रा में शामिल होने के दौरान कोई भी व्यक्ति सिर्फ कुछ दूरी तक ही रथ को खींच सकता है। ऐसा इसलिए होता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रथ खींचने का मौका मिल सके।
अगर किसी को रथयात्रा में रथ खींचने का मौका नहीं मिलता है तो वह रथयात्रा में शामिल है वहीं अच्छा होता है। इस रथ यात्रा में पूरे भक्तिभाव से शामिल होने पर ही हजारों यज्ञों के बराबर का पुण्य मिलता है।