अहोई अष्टमी के व्रत में क्या खा सकते हैं (सौ.सोशल मीडिया)
Ahoi Ashtami Puja Muhurat : अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। यह व्रत करवा चौथ के चार और दिवाली के आठ दिन पहले मनाया जाता है। इस व्रत का हिंदू धर्म शास्त्रों में विशेष महत्व रखता है।
जैसा कि आप जानते हैं कि, ये व्रत संतानवती महिलाएं अपने संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन की कामना के लिए रखती है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, अहोई अष्टमी को लेकर कई नियम बताए गए हैं, जिसका पालन करना बेहद जरुरी होता है। ऐसे में आइए जानते हैं अहोई अष्टमी के व्रत में क्या-क्या खाया जाता है और इसका पारण कब किया जाता है।
अहोई अष्टमी का व्रत भी करवा चौथ के जैसा ही कठोर होता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और अन्न-जल ग्रहण नहीं करती है। शाम को व्रत का पारण करते समय सात्विक चीजें जैसे- सूखे मेवे, साबूदाना और फल का सेवन किया जा सकता है।
अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं शाम को गोलाधि बेला तक अपनी संतान के लिए उपवास करती हैं। शाम को आसमान में तारों के दर्शन के बाद ही इस व्रत का पारण किया जाता है। कुछ स्थानों पर इस व्रत का पारण चंद्र दर्शन के बाद किए जाने की परंपरा है। आमतौर पर अहोई अष्टमी के दिन चांद थोड़ा देर से दिखाई देता है।
ये भी पढ़ें-करवा चौथ पर चांद को मिट्टी के करवे से ही अर्घ्य देने का खुल गया रहस्य, त्रेतायुग से है विशेष संबंध
कहते हैं जिन जोड़ों को संतान प्राप्ति में समस्या आ रही है उन्हें अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में डुबकी लगाकर और इस पवित्र कुंड में खड़े होकर राधा रानी की पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि इससे संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है। इसी मान्यता के कारण हर साल अहोई अष्टमी के दिन कई शादीशुदा जोड़े एक साथ रात में राधा कुंड के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं।