रक्षा सूत्र बांधने के नियम (सौ.सोशल मीडिया)
Raksha Sutra : सनातन धर्म में किसी भी मांगलिक कार्यो के दौरान कलाई पर कलावा अवश्य बांधा जाता है। इसे रक्षासूत्र या मौली भी कहा जाता है। रक्षासूत्र बांधने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पौराणिक कथाओं में भी इसका उल्लेख मिलता है, जिसमें कहा गया है कि भगवान वामन ने असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए उनकी कलाई पर कलावा बांधा था।
यदि आप भी रक्षा सूत्र पहनने का विचार कर रहे हैं, तो आइए जानते हैं कि इसे कितनी बार लपेटना चाहिए, कौन सा रक्षा सूत्र नहीं पहनना चाहिए और इसे बांधने के नियम क्या हैं।
क्या है रक्षा सूत्र बांधने के नियम-
कब बांधना चाहिए रक्षा सूत्र
कलावा किसी भी दिन बांध सकते हैं। लेकिन, जिस दिन रक्षा-सूत्र बांधें, उस दिन का शुभ मुहूर्त जरूर देख लेना चाहिए। रक्षा-सूत्र जब हाथ के बंधे हुए 21 दिन से ज्यादा हो जाए, अर्थात पुराना हो जाए, तो उसे उतारने के लिए मंगलवार व शनिवार का दिन सबसे अच्छा माना गया है।
रक्षा सूत्र कितने दिनों तक पहनना चाहिए
अक्सर देखा गया है कि लोग रक्षासूत्र पहनने के बाद उसे कई महीनों तक बांधे रहते हैं। हालांकि ऐसा करना बिलकुल सही नहीं है। शास्त्र के अनुसार, ज्यादा दिन तक हाथ में रहने वाले कलावे का जब रंग उतरने लगता है तो उसकी ऊर्जा भी कम होने लगती है और एक समय बाद खत्म हो जाती है, इसलिए हाथ में कलावा 21 दिनों से ज्यादा नहीं रखना चाहिए। 21 दिन के बाद इसे उतारकर नया कलावा शुभ मुहूर्त में बांधना चाहिए।
न बांधें ऐसा कलावा
शास्त्रों के अनुसार जिस कलावा का रंग उतर गया है, उसे नहीं बांधना चाहिए।
21 दिनों के बाद फिर किसी शुभ मुहुर्त में इसे बंधवा सकते हैं।
हाथ से उतारा हुआ रक्षा सूत्र बहती नदी में प्रवाहित करना चाहिए।
यदि यह संभव न हो सके तो किसी पेड़ की जड़ में छोटा सा गड्ढा खोद कर डाल देना चाहिए।
कलावा बांधने का सही नियम
पुरुषों और अविवाहित कन्याओं के दाएं हाथ में रक्षा सूत्र बांधना चाहिए।
शादीशुदा महिलाएं बाएं हाथ में रक्षा सूत्र बंधवाए।
कलावा बंधवाते समय उस हाथ की मुट्ठी बंद रखें, मुट्ठी में दक्षिणा रखनी चाहिए और जो कलावा बांधता है उसे वह दक्षिणा दे दी जाती है।
कलावा बंधवाते वक्त दूसरा हाथ हमेशा सिर पर रखना चाहिए। कलावा सिर्फ तीन बार ही लपेटाना चाहिए या फिर पांच, सात, नौ बार भी लपेट सकते हैं।
विशेष पर्व काल के दौरान और किसी विशेष अनुष्ठान एवं यज्ञ- हवन के दौरान हमेशा नया कलावा बांधना चाहिए।
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कलावा बांधने के धार्मिक एवं वैज्ञानिक कारण जानिए
धार्मिक दृष्टिकोण से कलावा त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु महेश का सूचक भी माना गया है, इसे विधिवत रूप से बांधने से त्रिदेवों की कृपा बनी रहती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से कलावा बांधने से ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हार्ट संबंधित समस्याओं में व अन्य शारीरिक समस्याओं में भी लाभ मिलता है।