विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी (सौ.सोशल मीडिया)
Sankashti Chaturthi Vrat Puja Vidhi: देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश को समर्पित विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत इस बार 10 सितंबर को बुधवार को रखा जाएगा। इस दिन निश्चल एवं सह्रदय मन से भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है।
इस व्रत को करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही मनचाही मुराद पूरी होती है। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। आइए जानते हैं विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी की सही तिथि, पूजन का महत्व और चंद्रोदय का समय।
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 10 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 11 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, चतुर्थी का व्रत 10 सितंबर को बुधवार को रखा जाएगा।
संकष्टी चतुर्थी के व्रत में चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत कथा सुनने और भगवान गणेश की पूजा करने के बाद रात में चंद्र देव के दर्शन किए जाते हैं। 10 सितंबर 2025 को चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 06 मिनट पर होगा। चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत का पारण किया जाएगा।
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भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने से सभी कष्ट और विघ्न दूर होते हैं। इस दिन भगवान गणेश के साथ-साथ शिव परिवार की पूजा करने से भी विशेष फल मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति के सभी कार्य निर्विघ्न पूरे होते हैं।