तुलसी पूजन दिवस (सौ.सोशल मीडिया)
Tulsi pooja significance: 25 दिसंबर को जहां ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस डे मनाते हैं। वहीं हिंदू धर्म के लोग इस दिन तुलसी पूजन दिवस मनाते हैं। इस साल 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाएगा। खास बात ये है कि इस बार यह महापर्व गुरुवार के दिन पड़ रहा है। गुरुवार भगवान विष्णु का प्रिय दिन है, इसलिए इस दिन तुलसी पूजन का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
मान्यता है कि यदि इस दिन नियमों का सही पालन किया जाए, तो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है।
शास्त्रों के अनुसार, बिना स्नान किए तुलसी को छूना या जल चढ़ाना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से पूजा का पुण्य नहीं मिलता।
रविवार और एकादशी के दिन तुलसी दल तोड़ना वर्जित माना गया है। मान्यता है कि इससे तुलसी माता को कष्ट पहुंचता है और लक्ष्मी कृपा कम हो जाती है।
सूर्यास्त के बाद तुलसी को जल देना या दीपक जलाना नहीं चाहिए। रात में तुलसी विश्राम करती हैं, इस समय छेड़छाड़ दोषकारी मानी जाती है।
तुलसी का पौधा कभी भी शौचालय, सीढ़ियों के नीचे या गंदे स्थान पर नहीं रखना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
सूखी, पीली या टूटी हुई तुलसी पूजा के लिए अशुभ मानी जाती है। समय-समय पर पौधे की देखभाल करना जरूरी है।
तुलसी पूजन का सबसे उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय के बाद का माना गया है।
शुद्ध जल से तुलसी माता को जल अर्पित करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
तुलसी के पास घी या तिल के तेल का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है, लेकिन सूर्यास्त से पहले।
तुलसी माता की कम से कम 7 या 11 परिक्रमा करें। इससे मानसिक शांति और सकारात्मकता बढ़ती है।
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तुलसी पूजन सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाने का माध्यम है। अगर आप मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं, तो तुलसी पूजन के दौरान छोटी-छोटी गलतियों से बचें और सही नियमों का पालन करें। इससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।