चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का मुहूर्त (सौ.सोशल मीडिया)
Sharad Purnima 2025: आज पूरे देशभर में शरद पूर्णिमा मनाई जा रही है। ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, वैसे तो, सनातन धर्म में सभी पूर्णिमा का विशेष महत्व है, लेकिन शरद पूर्णिमा को सभी पूर्णिमा में श्रेष्ठ माना जाता है। क्योंकि, इसी तिथि से शरद ऋतु का आरंभ भी हो जाता है। इस दिन चंद्रमा संपूर्ण होता है और 16 कलाओं से युक्त होता है।
कहा जाता है कि, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है और लोग इस अमृत को ग्रहण करते हैं। जो जातक इस अमृत को ग्रहण करता है उसे धन, प्रेम और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्रीकृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था। इस दिन विशेष प्रयोग करके अच्छे स्वास्थ्य, प्रेम और धन का वरदान पाया जा सकता है।
ज्योतिषियों के मुताबिक, इस बार शरद पूर्णिमा पर कई सारे शुभ संयोगों का निर्माण होने वाला है, साथ ही इस दिन अशुभ पंचक का साया भी रहने वाला है तो ऐसे में जानते है कि क्या पंचक का प्रभाव पूर्णिमा पर दिखेगा और कल किस मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा करनी होगी और खीर चंद्रमा में रोशनी में रखनी होगी।
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 06 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 07 अक्टूबर को सुबह को 09 बजकर 16 मिनट पर होगा। पंचांग गणना के आधार पर इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 06 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 28 मिनट तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 09 मिनट तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 37 मिनट तक।
पंचांग के अनुसार, खीर रखने का मुहूर्त 6 अक्टूबर यानी आज रात 10 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 09 मिनट तक रहेगा, जो कि सबसे शुभ और लाभकारी मुहूर्त माना जा रहा है।
शरद पूर्णिमा पर पंचक का साया भी रहने वाला है। दरअसल, पंचक की शुरुआत दशहरे के अगले दिन से हो गई थी, जो कि तिथि के अनुसार 3 अक्टूबर से लेकर 8 अक्टूबर तक रहेंगे। इस पंचक का प्रभाव आज पूर्णिमा पर भी देखने को मिलेगा इसलिए इस दौरान कोई शुभ काम न करें।
सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर रात के समय चंद्रमा की चांदनी में खीर या दूध रखने से वह अमृत के समान हो जाता है।
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यह खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और निरोगी काया मिलती है। इस शुभ घड़ी पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है, जिससे धन-धान्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।