राधा अष्टमी आज (सौ.सोशल मीडिया)
भगवान श्रीकृष्ण की आराध्य शक्ति राधा रानी का जन्मोत्सव (Birthday) यानी ‘राधा अष्टमी’ (Radha Ashtami) का पावन व्रत 11 सितंबर, बुधवार को पूरे देशभर में मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राधा रानी की पूजा के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है। कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही ‘राधा अष्टमी’ का त्योहार पूरे देशभर में बड़े धूमधाम के साथ मनाते हैं।कृष्ण भक्तों के लिए जन्माष्टमी के बाद राधा अष्टमी दूसरा सबसे बड़ा उत्सव होता है। इस दिन राधा रानी का विधि विधान से प्राकट्य दिवस मनाते हैं। श्रीकृष्ण मंदिरों में राधा संग भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
राधा जी जन्म भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को मथुरा के रावल गांव में जन्मीं थीं। उनकी माता कीर्ति और पिता वृषभानु जी थे। इस शुभ अवसर पर राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण की विशेष रूप से पूजा- अर्चना की जाती है। साथ ही आयु और सौभाग्य में अपार वृद्धि के लिए व्रत भी किया जाता है। अगर आप भी इस व्रत को कर रहे हैं, तो ऐसे में आइए राधा अष्टमी की तिथि शुरू होने से पहले जान लेते हैं कि व्रत में किन चीजों का सेवन किया जा सकता है।
ज्योतिषयों के अनुसार, राधा अष्टमी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करना चाहिए और इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पण करना चाहिए। ऐसा करने के बाद ईशान कोण में एक चौकी पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और उसे पर राधा रानी की प्रतिमा या फोटो स्थापित करनी चाहिए।
इसके बाद मिट्टी या तांबे से बने कलश में जल, सिक्का और आम का पत्ता रखकर, कलश के मध्य में नारियल स्थापित को करना चाहिए।
ऐसा करने के बाद पंचामृत से राधा रानी का अभिषेक करें और गंध, पुष्प, धूप, दीप, चंदन इत्यादि अर्पित करें। साथ ही पूजा के दौरान राधा रानी को 16 श्रृंगार जरूर अर्पित करें। इसके बाद श्री कृष्ण की उपासना करें और भोग अर्पित करें। पूजा के दौरान श्री कृष्णा और राधा रानी के मंत्र का जाप करते रहें और पूजा के अंत में आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
हिन्दू धर्म में ‘राधाष्टमी’(Radha Ashtami 2024) व्रत का बड़ा महत्व है। राधाष्टमी के दिन राधा जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। कहते ‘राधाष्टमी’ का व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। घर में सुख और समृद्धि आती है। परिवार में लक्ष्मी का वास होता है।
भगवान श्रीकृष्ण राधा जी के इष्टदेव हैं, तो वहीं राधा जी श्रीकृष्ण को अपने प्राणों से प्रिय हैं। राधारमण कहे जाने वाले श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि राधा जैसा कोई नहीं है, करोड़ों महालक्ष्मी भी नहीं। कहा जाता है कि राधा तो भगवान कृष्ण की आत्मा हैं। राधा अष्टमी का व्रत करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। संतान के सुखी जीवन के लिए भी यह व्रत रखा जाता है।