भगवान गौतम बुद्ध के अनमोल विचार (सौ.सोशल मीडिया)
Buddha Purnima 2025: आज 12 मई को देशभर पर ‘बुद्ध पूर्णिमा’ मनाई जा रही है। हर साल वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि पर बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध की जयंती मनाई जाती है। इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान बुद्ध के रूप में भगवान विष्णु के नौवें अवतार का जन्म हुआ था। इसलिए यह तिथि बौद्ध और हिंदू दोनों धर्मों के लिए महत्वपूर्ण होती है। इस दिन भगवान बुद्ध का सिर्फ जन्म ही नहीं बल्कि इसी तिथि को वर्षों वन में भटकने व कठोर तपस्या करने के पश्चात बोधगया में बोधिवृक्ष नीचे बुद्ध को सत्य का ज्ञान हुआ।
बुद्ध पूर्णिमा पर स्नान-दान के साथ महात्मा बुद्ध के शिक्षाओं के प्रसार-प्रचार का भी बहुत महत्व है। आपको बता दें, बुद्ध पूर्णिमा के दिन बौद्ध धर्म के मानने वाले अपने घरों पर दीपक जलाते हैं और ग्रंथों का पाठ कर गौतम बुद्ध के बताए हुए रास्ते पर चलने की कसम खाते हैं।
भगवान बुद्ध ने चार आर्य सत्यों का उपदेश दिया था। वहीं, हिंदू धर्म में भी इनकी पूजा होती है इन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। ऐसे में आज बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर आइए जानते हैं गौतम बुद्ध के अनमोल विचार-
भगवान गौतम बुद्ध के अनमोल विचार :
क्रोध
भगवान गौतम बुद्ध का मानना था कि क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। हमेशा क्रोध में रहना, गर्म कोयले को किसी दूसरे पर फेंकने के लिए पकड़े रहने के सामान होता है। इसमें हमारा हाथ भी जलता है।
ईर्ष्या
कहते हैं, क्रोध की तरह ईर्ष्या भी व्यक्ति के मन की शांति को खत्म कर देती है। किसी के प्रति नफरत और ईर्ष्या रखने से जीवन में कोई भी खुशी नहीं प्राप्त की जा सकती। इसलिए किसी के प्रति नफरत और ईर्ष्या नहीं रखनी चाहिए।
शंका
गौतम बुद्ध का कहना था कि, शक से भी हमेशा बचना चाहिए। बेवजह किसी पर कभी भी शक नहीं करना चाहिए। शक लोगों को अलग कर देता है।
अज्ञानी
भगवान गौतम बुद्ध के अनुसार, अज्ञानी व्यक्ति से कभी भी उलझना और बहस नहीं चाहिए। अज्ञानी व्यक्ति बैल के समान होता है। वह ज्ञान में नहीं, सिर्फ आकार में बड़ा दिखता है।
दुख
न ही सुख स्थायी और न ही दुख। बुरा समय आने पर उसका डटकर सामना करना चाहिए और हमेशा रोशनी की तलाश करनी चाहिए।
समय
कहते हैं, जो बुरा समय बीत गया हो, उसको याद नहीं करना चाहिए। भविष्य के लिए सपने नहीं देखना चाहिए, बल्कि वर्तमान में ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
साधना
जीवनभर बिना ध्यान के साधना करने की अपेक्षा जीवन में एक दिन समझदारी से जीना कहीं अच्छा है।
सेहत
व्यक्ति अपने अच्छे और बुरे स्वास्थ्य का जिम्मेदार स्वयं होता है। इसीलिए खान-पान और दिनचर्या का ध्यान रखना चाहिए।
आध्यात्मिक जीवन
जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती वैसी ही मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।
सत्य
तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकतीं सूर्य, चंद्रमा और सत्य।