शिवलिंग पर नहीं चढ़ाए जाते ये पांच फल (सौ.सोशल मीडिया)
Shiv Ji Ki Puja : शिव भक्ति और आराधना का महापर्व श्रावण मास अभी चल रहा हैं। यह महीना पूरी तरह देवों के देव भगवान शिव को समर्पित होता है। शिवभक्त सावन महीने में निश्चल एवं सह्रदय मन से भगवान भोलेनाथ की पूजा-पाठ और व्रत रखते है। मान्यता है कि, ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ सबकी मनोकामनाओं को पूरी करते हैं।
कहा जाता है कि, यदि सच्चे मन से केवल जल अर्पित किया जाए, तो भोलेनाथ वह भी स्वीकार कर लेते हैं। शिव जी को सामान्य प्रसाद प्रिय है, लेकिन कुछ फल ऐसे भी हैं, जिन्हें उनकी पूजा में अर्पित नहीं करना वर्जित माना जाता है। आइए जानते हैं कि ये फल कौन से हैं।
ज्योतिषयों के अनुसार, शिवलिंग पर नारियल यानी श्री फल नहीं चढ़ाना चाहिए। नारियल को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। यह फल समुद्र मंथन की प्रक्रिया से उत्पन्न हुआ था और इसे मां लक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है। चूंकि लक्ष्मी जी भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं, इसलिए नारियल चढ़ाना शिव को लक्ष्मी अर्पित करने जैसा माना जाता है, जो पूजा शास्त्रों के अनुसार अनुचित है।
कहा जाता है कि शिवलिंग पर जामुन भी नहीं चढ़ाना चाहिए। धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जामुन को पूरी तरह से शुद्ध नहीं माना गया है। इसी वजह से इसे शिवलिंग या शिव प्रतिमा पर नहीं चढ़ाया जाता और न ही इसे प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है।
ज्योतिष बताते है कि शिवलिंग पर अनार भी चढ़ाना वर्जित माना गया है। हालांकि श्रद्धापूर्वक अनार के रस से अभिषेक करना स्वीकार्य माना गया है।
शिवलिंग पर केला भी नहीं चढ़ाना चाहिए। पुराणों में वर्णन मिलता है कि केले के वृक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के रौद्र रूप और ब्राह्मण के शाप के कारण हुई थी। यही कारण है कि केले को शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता।
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आपको बता दें, इन फलों के अलावा तुलसी के पत्ते और केवड़ा फूल भी भगवान शिव को नहीं चढ़ाए जाते। शिवपुराण के अनुसार केवड़ा फूल को शिव ने श्रापित किया था क्योंकि इसने ब्रह्मा जी के असत्य कथन का समर्थन किया था।
साथ ही, शिव वैराग्य और तप के प्रतीक हैं, इसलिए उन्हें कुमकुम, सिंदूर या स्त्रियों के श्रृंगार संबंधी वस्तुएं भी नहीं अर्पित करनी चाहिए। ऐसी वस्तुएं शिव पूजा के प्रभाव को कम कर सकती हैं।