ये है महालया अमावस्या 2025 मुहूर्त (सौ.सोशल मीडिया)
Mahalaya Amavasya 2025: हिन्दू धर्म में शारदीय नवरात्रि यानी दुर्गा पूजा का उत्सव बहुत ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ये पर्व महालया से शुरू होता है। महालया अमावस्या पितृ पक्ष के अंत और दुर्गा पूजा की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल महालया अमावस्या 21 सितंबर 2025 को मनाई जाएगी।
पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए इस दिन का खास महत्व है। साथ ही सनातन शास्त्रों में इस तिथि पर मां दुर्गा धरती पर आगमन के लिए कैलाश पर्वत से विदा लेती है और धरती पर माता रानी का आगमन होता है। ऐसे में आइए जानते हैं महालया अमावस्या कब है और इसका क्या महत्व है।
महालया अमावस्या तिथि शुरू – 21 सितंबर 2025, सुबह 12.16
महालया अमावस्या तिथि समाप्त – 22 सितंबर 2025, सुबह 1.23
कुतुप मूहूर्त – सुबह 11:50- दोपह 12:38
रौहिण मूहूर्त – दोपहर 12:38 – दोपहर 01:27
अपराह्न काल – दोपहर 01:27 – दोपहर 03:53
ज्योतिषियों के अनुसार, महालया दो शब्दों से मिलकर बना है। ये संस्कृत का शब्द है। महालया- महा और आलय दो शब्दों से मिलकर बना है। महा का अर्थ होता है निवास और आलय का अर्थ देवी का स्थान है।
जिसका अर्थ हुआ देवी का महान निवास। महालया के दिन ही मां देवी शिवलोक से धरती लोक पर आती हैं। ऐसी मान्यता है कि महालया के दिन पितरों की विदाई होती है और मां दुर्गा का आगमन होता है।
शास्त्रों के अनुसार, महालया के दिन ही मां अपने परिवार से विदा लेकर धरती पर आती हैं। इसी दिन मां की मूर्ति की आंख तैयार की जाती है। इस दिन मां दुर्गा की मूर्ति पूरी हो जाती है। इस दिन बंगाल में महालया सुना जाता है। जिसमें देवी के गीत और रवीन्द्रनाथ संगीत गाया जाता है।
सनातन धर्म में महालया का महत्व बड़ा महत्व हैं। महालया का पर्व बंगाल के लोगों के लिए बहुत ही खास महत्व रखता है। ये पर्व ब्रह्म मुहूर्त में सुना जाता है। महालया के दिन से ही बंगाल में दुर्गा पूजा का उत्साह देखने को मिलता है। महालया के दिन ब्रह्माण भोजन और दान आदि किए जाते हैं।
इस दिन अपने सारे पितरों का तर्पण किया जाता है। इस दिन पूर्वज का तर्पण करने से परिवार पर पितृ की कृपा हमेशा बनी रहती है। मां दुर्गा की उत्पति ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर ने राक्षस राजा महिषासुर को हराने के लिए किया था। तब से ही नवरात्रि के समय में मां दुर्गा की पूजा की जाती है।
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महालया अमावस्या के दिन पितरों की पूजा करें और गरीब लोगों को भोजन खिलाएं।
रात में दीपदान करें इससे पितरों को अपने लोक लौटने में आसानी होती है।
मान्यता है कि इससे पूर्वज प्रसन्न होंगे और हमेशा उनका आशीर्वाद बना रहेगा।