स्कंद षष्ठी व्रत (सौ.सोशल मीडिया)
Skanda Shashti Significance:’स्कंद षष्ठी’ दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जो हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी मनाई जाती है। यह व्रत शिव गौरी पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और विधिपूर्वक पूजा करने से शत्रुओं पर विजय, रोगों से मुक्ति और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
इस बार पौष मास की स्कंद षष्ठी का व्रत 25 दिसंबर को मनाया जा रहा है। ऐसे में आइए जानते है स्कंद षष्ठी व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि
षष्ठी तिथि प्रारंभ: 25 दिसंबर को दोपहर बाद
उदयातिथि के अनुसार स्कंद षष्ठी व्रत 26 दिसंबर को रखा जाएगा। हालांकि कुछ स्थानों पर परंपरा अनुसार तिथि आरंभ होने के कारण 25 दिसंबर को भी व्रत किया जाता है, लेकिन शास्त्रसम्मत रूप से 26 दिसंबर को व्रत रखना अधिक उचित माना गया है।
प्रातः पूजा का श्रेष्ठ समय: सूर्योदय के बाद
अभिषेक और आरती: सुबह से दोपहर तक
व्रत पारण: अगले दिन सूर्योदय के बाद
स्कंद षष्ठी का संबंध तारकासुर वध से जुड़ा है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान कार्तिकेय ने असुरों पर विजय प्राप्त की थी। इस व्रत को करने से—
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