इस शुभ मुहूर्त में करें दिवाली की पूजा (सौ.सोशल मीडिया)
Diwali Shubh Nakshtra: आज देशभर में दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। जहां पर हर जगह खुशियों का माहौल है तो वहीं पर दीयों की रोशनी नजर आ रही है। इस साल दिवाली का महापर्व एक अत्यंत दुर्लभ और शुभ संयोग के साथ मनाया जा रहा है। कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर, यानी 20 अक्टूबर को, श्रद्धालु हस्त और चित्रा नक्षत्रों के साक्षी बनेंगे, जिसने इस त्योहार के महत्व को कई गुना बढ़ा दिया है। यह पर्व धनतेरस के बाद आ रहा है, जिसे शनि प्रदोष के विशेष योग में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया था।
दीपावली पर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी पर मनाए गए धनतेरस से हुई। शनिवार को यह पर्व शनि प्रदोष और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के शुभ संयोग में मनाया गया। इस विशेष योग में भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी का पूजन भक्तों द्वारा पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ किया गया, जिससे बाजारों में भी विशेष रौनक देखने को मिली थी।
कार्तिक माह की अमावस्या तिथि यानि आज 20 अक्टूबर को दोपहर 2:32 बजे शुरू होगी और अगले दिन 21 अक्टूबर की शाम 4:26 बजे तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूजन प्रदोष काल और निशीथ काल में करने का विधान है। मान्यता है कि स्थिर लग्न और प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन करने से मां प्रसन्न होती हैं और घर-परिवार पर धन तथा सुख-समृद्धि की कृपा सदैव बनी रहती है।
इस वर्ष दिवाली को विशेष बनाने वाले ये दो नक्षत्र अत्यंत महत्वपूर्ण हैं:
हस्त नक्षत्र: हिंदू शास्त्रों के अनुसार, हस्त नक्षत्र को संपन्नता, कौशल और शुभ फल देने वाला माना जाता है। इस नक्षत्र में लक्ष्मी पूजन करने से मां लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं और घर-परिवार पर सुख, समृद्धि और कृपा बनाए रखती हैं।
चित्रा नक्षत्र: इसके उपरांत चित्रा नक्षत्र का आरंभ होगा, जो सुंदरता, कला और भव्यता का प्रतीक है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, इस नक्षत्र में दीप प्रज्वलन और लक्ष्मी पूजन करने से जीवन में रचनात्मकता, यश और कीर्ति की वृद्धि होती है और विशेष पुण्य की प्राप्ति भी होती है। यह दुर्लभ संयोग दिवाली के पर्व को और भी अधिक फलदायी बना रहा है।
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स्थिर लग्न में किए गए पूजन से मां लक्ष्मी की कृपा स्थायी रूप से घर में बनी रहती है। 20 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन के लिए निम्नलिखित स्थिर लग्न अत्यंत शुभ हैं:
लग्न समय महत्व
कुम्भ लग्न दोपहर 02:36 बजे से शाम 04:07 बजे तक प्रदोष काल के पूर्व का शुभ समय।
वृषभ लग्न शाम 07:12 बजे से रात 09:08 बजे तक प्रदोष काल का सबसे महत्वपूर्ण स्थिर लग्न।
सिंह लग्न मध्यरात्रि 01:40 बजे से सुबह 03:54 बजे तक निशीथ काल का स्थिर लग्न, विशेष तांत्रिक पूजा के लिए उत्तम।