एकादशी के दिन इन नियमों को न करें अनदेखा (सौ.सोशल मीडिया)
Paush Putrada Ekadashi 2025 Rules: 30 दिसंबर को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। धार्मिक एवं आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टि से पुत्रदा एकादशी का बड़ा महत्व है। हिंदू मान्यता के अनुसार, साल में दो बार पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। एक पौष के महीने में और दूसरा सावन के महीने में।
हिन्दू मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से संतान की कामना से इस एकादशी का व्रत विधि-विधान से रखता है, उसे जल्द ही खुशखबरी मिलती है और संतान को दीर्घायु जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन कुछ ऐसे काम हैं, जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए। अगर आप एकादशी के दिन इन नियमों को अनदेखा करते हैं, तो व्रत का फल पूरा नहीं मिलता है।
एकादशी के दिन लहसुन, प्याज, मांसाहार और शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत न रखने वाले परिवार के सदस्यों को भी इस दिन तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए। कहा जाता है कि यह भोजन अशुद्ध माना जाता है और पूजा की पवित्रता को नष्ट करता है।
ऐसा कहा जाता है कि, एकादशी के दिन सूर्योदय के बाद दिन में सोना नहीं चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, दिन में सोने से व्रत का फल नष्ट हो जाता है। वहीं, इस तिथि पर रात में भी जागरण करना बहुत शुभ माना जाता है।
ज्योतिषयों के अनुसार, एकादशी के दिन चावल का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। पौराणिक मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति पापों का भागी बनता है। व्रत पारण के दिन यानी अगले दिन द्वादशी पर ही चावल खाना चाहिए।
शास्त्रों में बताया गया है कि, एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना या उन्हें छूना नहीं चाहिए। तुलसी जी को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और इस दिन वह भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
ऐसे में उन्हें छूना या तोड़ना उनका व्रत भंग करने के समान है। इसलिए पूजा में उपयोग के लिए तुलसी दल एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।
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इस दिन किसी से भी झूठ बोलना, कठोर वचन बोलना और वाद-विवाद करने से बचना चाहिए। एकादशी का व्रत केवल शरीर से नहीं, बल्कि मन और वाणी से भी रखा जाता है। गुस्सा और नकारात्मकता से व्रत का पुण्य फल नष्ट हो जाता है।