Hindi news, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest Hindi News
X
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • धर्म
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • करियर
  • टेक्नॉलजी
  • हेल्थ
  • ऑटोमोबाइल
  • वीडियो
  • चुनाव

  • ई-पेपर
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • राजनीति
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • क्राइम
  • नवभारत विशेष
  • मनोरंजन
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़
  • वायरल
  • अन्य
    • ऑटोमोबाइल
    • टेक्नॉलजी
    • करियर
    • धर्म
    • टूर एंड ट्रैवल
    • वीडियो
    • फोटो
    • चुनाव
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • क्राइम
  • लाइफ़स्टाइल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • राजनीति
  • बिज़नेस
  • ऑटोमोबाइल
  • टेक्नॉलजी
  • धर्म
  • वेब स्टोरीज़
  • करियर
  • टूर एंड ट्रैवल
  • वीडियो
  • फोटो
  • चुनाव
In Trends:
  • ICC Women’s Cricket World Cup |
  • Dussehra 2025 |
  • Shardiya Navratri |
  • Bihar Assembly Election 2025 |
  • Weather Update |
  • Share Market
Follow Us
  • वेब स्टोरीज
  • फोटो
  • विडियो
  • फटाफट खबरें

‘पाउले चालती पंढरी ची चाल’… 800 वर्षों की परंपरा, आस्था और समर्पण की पदयात्रा-वारी पंढरपुर की

भगवान विठ्ठल और माता रुक्मिनी के मात्र दर्शन के लिए निकाले जाने वाली पंढरपुर वारी की परंपरा 800 वर्ष पुरानी है। 13वीं शताब्दी में संत ज्ञानेश्वर महाराज ने आलंदी से यह पदयात्रा आरंभ की थी।

  • By आंचल लोखंडे
Updated On: Jun 20, 2025 | 09:51 PM

'पाउले चालती पंढरी ची चाल'... (सौजन्यः सोशल मीडिया)

Follow Us
Close
Follow Us:

पुणे: “घेईन तुजला उराशी निजरा…” संत तुकाराम महाराज के इस अभंग की भावना लिए लाखों वारकरी गुरुवार को आलंदी से पंढरपुर की ओर विठोबा के दर्शन हेतु रवाना हो गए। संत ज्ञानेश्वर महाराज की पालखी आषाढ़ी वारी के लिए प्रस्थान कर चुकी है। तेज़ बारिश, गरजते बरसते बादल, इंद्रायणी नदी और कीचड़ से भरे मार्ग भी इन श्रद्धालुओं की आस्था को डिगा नहीं सके। संतों की पालखी के साथ हर भक्त ‘ज्ञानोबा माउली तुकाराम’ के नामस्मरण में लीन नज़र आया।

भगवान विठ्ठल और माता रुक्मिनी के मात्र दर्शन के लिए निकाले जाने वाली पंढरपुर वारी की परंपरा 800 वर्ष पुरानी है। 13वीं शताब्दी में संत ज्ञानेश्वर महाराज ने आलंदी से यह पदयात्रा आरंभ की थी। 17वीं शताब्दी में संत तुकाराम महाराज ने देहू से पंढरपुर तक पालखी यात्रा की परंपरा शुरू की। यह वारी हर वर्ष आषाढ़ मास की शुक्ल एकादशी को पंढरपुर में विठोबा-रखुमाई के दर्शन के साथ संपन्न होती है। तो वहीं दोनों पालखी का मिलन भी होता है।

वारकरी समुदाय

वारकरी का अर्थ है वे लोग जो विठ्ठल के दर्शन के लिए पंढरपुर की यात्रा करते हैं। यह एक मराठी भक्ति संप्रदाय है, जिसमें विट्ठल की पूजा की जाती है और आषाढ़ी-कार्तिकी एकादशी पर पंढरपुर की वारी (तीर्थयात्रा) की जाती है।

यात्रा का मार्ग और दूरी

यह यात्रा लगभग 250 किलोमीटर लंबी होती है। वारकरी प्रतिदिन औसतन 15–25 किलोमीटर तक पैदल चलते हैं। पूरी यात्रा में लगभग 20–21 दिन लगते हैं। इस यात्रा में पैदल चलने की परंपरा है क्योंकी संत ज्ञानोबा और संत तुकाराम महाराज ने पैदल ही विठ्ठल के दर्शन के लिए निकले थे, सभी संकटो को पार कर भगवान के दर्शन का यह सुख अद्भुत माना जाता है।

क्या है ‘दिंडी और रिंगण’

दिंडी यानी छोटे-छोटे संगठित समूह जो इस वारी में अनुशासित रूप से शामिल होते हैं। हर दिंडी के साथ ढोल-ताशे, झांज, टाळ, अभंग, हरिपाठ और कीर्तन की गूंज वातावरण को भक्तिमय बना देती है। तो वहीं ‘रिंगण’ एक पवित्र आयोजन होता है जिसमें प्रतीकात्मक घोड़े रेत के मैदान में गोल दौड़ते हैं, यह प्रभु की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है।

वारी का महत्व

वारी केवल धार्मिक पदयात्रा नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता, भक्ति, अनुशासन और सहयोग का जीवंत उदाहरण है। यह जाति, वर्ग, उम्र और लिंग से परे, सभी को एकसूत्र में पिरोने वाली महान परंपरा है। लाखों वारकरी- महिलाएं, पुरुष, बुजुर्ग और बच्चे सब मिलकर इस यात्रा को पूर्ण करते हैं।

माउली मंदिर की सजावट

इस वर्ष भी माउली मंदिर को विविध फूलों से भव्य रूप से सजाया गया। गेंदा, मोगरा, लिली आदि फूलों से मंदिर परिसर का अलंकरण हुआ। मंदिर द्वार पर लाल और जामुनी फूलों से “निरंतर करुण्यसिंधु” यह शब्द अंकित किए गए थे।

प्रकृति की परीक्षा-आस्था की विजय

गुरुवार सुबह से तेज़ बारिश के कारण इंद्रायणी नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया। सुरक्षा कारणों से कुछ घाटों पर वारकरियों का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया। बावजूद इसके, भीगे वस्त्रों और फिसलन के बीच भक्तगण ‘माउली माउली’ की गूंज करते हुए आनंद में डूबे रहे।

सुरक्षा और सुविधा की व्यवस्था

पिंपरी-चिंचवड पुलिस द्वारा लगभग 3,500 पुलिसकर्मी तैनात किए गए। CCTV, टॉवर, महिला सुरक्षा तैनाती, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, पीने का पानी, टॉयलेट्स और आश्रय केंद्र जैसी समस्त सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।

19 साल बाद योगिनी एकादशी का ऐसा महासंयोग, इन 4 राशियों का खुलेगा भाग्य

वारी 2025: प्रमुख दिनांक

  • संत तुकाराम महाराज पालखी यात्रा: देहू से प्रस्थान — 18 जून, पंढरपुर आगमन — 5 जुलाई
  • संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी यात्रा: आलंदी से प्रस्थान — 19 जून, पंढरपुर आगमन — 5 जुलाई
  • विठोबा दर्शन (आषाढ़ी एकादशी): 6 जुलाई 2025

‘पाउले चालती पंढरी ची चाल’…

पंढरपुर वारी एक पदयात्रा से कहीं बढ़कर यह सद्भाव, श्रद्धा और महाराष्ट्र की आत्मा का साक्षात रूप है। हर वर्ष लाखों वारकरी अपने दुख, सुख, कष्ट और प्रेम लेकर ‘माउली’ के चरणों में समर्पित होते हैं। “वारी चलती है… बारिश में भी, कीचड़ में भी, क्योंकि यह सिर्फ रास्ता नहीं, यह श्रद्धा की चाल है।”

Pandharpur wari walk of 800 years of tradition faith and dedication

Get Latest   Hindi News ,  Maharashtra News ,  Entertainment News ,  Election News ,  Business News ,  Tech ,  Auto ,  Career and  Religion News  only on Navbharatlive.com

Published On: Jun 20, 2025 | 09:51 PM

Topics:  

  • Ashadhi Wari
  • Pandharpur Yatra
  • Pune
  • Solapur

सम्बंधित ख़बरें

1

आज महानवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा, कन्या पूजन की विधि और शुभ मुहूर्त जानिए

2

नवमी के दिन इस विधि से करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, मंत्र से आरती, भोग तक सब जानिए यहां

3

आज का राशिफल- 01 अक्टूबर 2025: अक्टूबर का पहला दिन 3 राशियों के लिए रहेगा खुशनुमा

4

दशहरा की रात घर में इन स्थानों में जलाएं दीया, खुल जाएगी बंद किस्मत के दरवाजे

Popular Section

  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़

States

  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्यप्रदेश
  • दिल्ली NCR
  • बिहार

Maharashtra Cities

  • मुंबई
  • पुणे
  • नागपुर
  • ठाणे
  • नासिक
  • अकोला
  • वर्धा
  • चंद्रपुर

More

  • वायरल
  • करियर
  • ऑटो
  • टेक
  • धर्म
  • वीडियो

Follow Us On

Contact Us About Us Disclaimer Privacy Policy
Marathi News Epaper Hindi Epaper Marathi RSS Sitemap

© Copyright Navbharatlive 2025 All rights reserved.