बसंत पंचमी (सौ.सोशल मीडिया)
Saraswati Vandana: बसंत पंचमी की तिथि की शुरुआत आज 2 फरवरी से हो गई है जहां पर 3 फरवरी को यहां पर तिथि की समाप्ति होगी। बसंत पंचमी के मौके पर माता सररस्वती की पूजा की जाती है वहीं पर स्कूलों में इस दिन सरस्वती वंदना भी होती है। छोटे बच्चों को विद्या दात्री मां सरस्वती के पूजन के विषय में बताया जाता है वहीं पर बच्चों को मां सरस्वती की वंदना सिखाई जाती है।
बसंत पंचमी के मौके पर स्कूलों में कार्यक्रम होते है और बच्चे माता सरस्वती की आराधना करते नजर आते है। कई स्कूलों में रोज की प्रार्थना में भी ये सरस्वती मंत्र संस्कृत में गाए जाते हैं। चलिए जान लेते है इन सरस्वती वंदना के श्लोक का अर्थ…
संस्कृत श्लोक-
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युतशङ्करप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
क्या होता है हिंदी में अर्थ
बताया जाता है कि, जो कुमुद यानी सफेद कमल, चंद्रमा, हिम के हार के समान निर्मल हैं। जो शुभ्र यानी सफेद वस्त्र धारण किए हुए हैं। जिनके हाथों में वीणा और वरद यानी आशीर्वाद देने वाली मुद्रा सुशोभित हैं। जो सफेद कमल पर विराजमानहैं। जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवता वंदन करते हैं। वह भगवती सरस्वती देवी, जो सभी प्रकार की अज्ञानता को नष्ट करने वाली हैं। मुझे विद्या और ज्ञान देकर संरक्षित करें।
संस्कृत श्लोक-
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥
बसंत पंचमी की खबरें जानने की क्लिक करें-
क्या होता है हिन्दी में अर्थ-
मैं उस परमेश्वरी भगवती सरस्वती की वंदना करता/ करती हूं, जो पवित्रता की प्रतीक हैं। जो ज्ञान के विचार-सार की परम रूपा और आद्य शक्ति हैं। जो पूरे विश्व में व्याप्त हैं। जिनके हाथों में वीणा और पुस्तक सुशोभित हैं। जो अभय यानी निर्भयता देने वाली हैं। जो अज्ञान के अंधकार को दूर करती हैं। जिनके एक हाथ में स्फटिक की माला है।
जो कमलासन पर विराजमान हैं। जो बुद्धि, ज्ञान और विवेक देने वाली देवी शारदा हैं।