रक्षाबंधन औऱ भाईदूज में अंतर (सौ.सोशल मीडिया)
रक्षाबंधन का त्योहार आने वाले दिन 19 अगस्त को देशभर में मनाया जाने वाला है इस दिन को लेकर भाई-बहनों में जहां पर खुशी का माहौल है तो वहीं पर इस त्योहार को भाई-बहन के अटूट बंधन का त्योहार कहा जाता है। रक्षाबंधन तो सबसे खास त्योहारों में से एक है लेकिन भाई-बहन के प्यार से जुड़़ा एक और त्योहार काफी फेमस है जिसके बारें में हर कोई जानते हैं इसका नाम भाईदूज हैं जो दीपावली के समय मनाया जाता है। ऐसे में यह दोनों त्योहार ही भाई-बहन को समर्पित त्योहार होता है तो आखिर ऐसा क्या हैं इन दोनों में अलग चलिए जानते हैं इसके बारे में।
आपको बताते चलें कि, रक्षा बंधन को जहां हिन्दू माह श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है वहीं भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। दोनों ही दिन बहन अपने भाई की लंबी आयु के लिए प्रतिज्ञा लेती है। भाई-दूज पर बहने अपने भाई की आरती करती है वहीं रक्षाबंधन में बहन अपने भाई को कलाई पर राखी बांधती है। रक्षा बंधन पर धागे का अर्थ होता है कि भाई किसी भी बुराई से अपनी बहन की रक्षा करेगा, जबकि भाई-दूज पर बहन भाई के माथे पर तिलक लगाकर मिठाई खिलाती है।
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रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक कथा प्रचलित है इसके अनुसार जब भगवान कृष्ण ने गलती से अपने सुदर्शन चक्र से अपनी उंगली काट ली थी तो राजकुमारी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर खून को रोकने के लिए वो पट्टी उनकी उंगली पर बांध दी थी। भगवान कृष्ण इस भाव से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने हमेशा उसकी रक्षा करने और उन्हें सजाने की कसम खाई। इसी के बाद से रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा।
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यहां पर भाईदूज से जुड़ी पौराणिक कथा प्रचलित है इसके अनुसार, यमराज और यमुना भाई-बहन थे और साथ ही इन दोनों में काफी प्रेम था। यमराज और यमुना सूर्य देव एवं छाया की संतानें थीं। ऐसा कहा जाता है कि यमराज अपने कार्य की अधिकता के कारण यमुना से मिलने नहीं जा पाते थे। लेकिन यमुना उन्हें बहुत बुलाती रहतीं थीं। एक दिन किसी नदी तट पर यमराज की मुलाकात यमुना से हो गई। इससे यमुना काफी प्रसन्न हुई और उन्होंने अपने भाई का काफी स्वागत किया। यमुना ने अपने भाई यमराज से कहा कि आज से प्रत्येक वर्ष आप मुझसे मिलने इसी दिन आओगे। और तब से कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया का वो दिन भाई दूज के नाम से जाना जाता है।