
कैसा होना चाहिए घर का मुख और प्रवेश द्वार (सौ.सोशल मीडिया)
आज के समय में नया घर खरीदना किसी चुनौती से कम नहीं है। खुद का एक अपना घर हो यह कई लोगों के जीवन का एक सपना होता है। इसके लिए लोग बहुत मेहनत करते हैं, कमाई करते हैं, सेविंग्स करते हैं तब जाकर कहीं पूरी जिंदगी में एक घर खरीद पाते है। घर खरीदते वक्त अक्सर लोग जगह एरिया और तमाम चीजें चेक करते हैं जो कि जरूरी भी है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर खरीदने से पहले कुछ चीजों को बारीकी से देखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, वरना जीवन कष्टों से भर सकता है। यहां कुछ प्रमुख वास्तु नियम दिए गए हैं, जिन्हें नया घर खरीदने से पहले अवश्य जांचना चाहिए। आइए जानते है इन वास्तु नियम के बारे में।
वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर का मुख्य प्रवेश द्वार ऊर्जा के प्रवेश का मुख्य केन्द्र होता है। पूर्वमुखी घर सबसे शुभ माना जाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो आध्यात्मिक, शिक्षक या रचनात्मक क्षेत्रों में है। यह मान-सम्मान और प्रसिद्धि दिलाता है।
उत्तरमुखी घर भी बहुत शुभ होता है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो व्यापार, वित्त या नए अवसरों की तलाश में है। यह धन और समृद्धि को आकर्षित करता है। उत्तर-पूर्वमुखी घर अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है, क्योंकि यह पूजा-पाठ और सकारात्मक ऊर्जा के लिए सर्वोत्तम है। यह शांति, ज्ञान और समृद्धि लाता है।
सामान्य तौर पर दक्षिणमुखी घर खरीदने से बचना चाहिए, क्योंकि इसे मंगलकारी नहीं माना जाता है। यह कलह, रोग और आर्थिक परेशानियों का कारण बन सकता है।
यदि खरीदना ही पड़े तो वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेकर उचित उपाय करवाएं। इसके बाद ही घर खरीदें । दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) दिशा का मुख भी आमतौर पर शुभ नहीं माना जाता है।
रसोई घर के लिए आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) दिशा सबसे शुभ होती है, क्योंकि यह अग्नि का स्थान है। उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम में रसोई घर होने से बचें, यह गंभीर वास्तु दोष उत्पन्न करता है।
मास्टर बेडरूम दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य कोण) में होना चाहिए। यह स्थिरता, अच्छे स्वास्थ्य और संबंधों में सामंजस्य लाता है। उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पूर्व में मास्टर बेडरूम होने से बचना चाहिए।
यह भी पढ़ें-रोटी बनाते समय भूल कर भी न करें ये गलतियां, लुट जाएंगी खुशियां, हेल्थ को भी नुकसान का खतरा!
पूजा कक्ष के लिए उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा सबसे शुभ होती है। यह घर में सकारात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा लाता है। शौचालय के पास या सीढ़ियों के नीचे पूजा घर न हो।
उत्तर -पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में शौचालय नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह धन हानि और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
पूजा कक्ष या रसोई के पास भी नहीं होना चाहिए। घर में पर्याप्त रोशनी और हवा आने की व्यवस्था होनी चाहिए, खासकर पूर्व और उत्तर दिशा से। घर या प्लॉट का ढलान उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना शुभ माना जाता है, जिससे धन का प्रवाह बना रहता है।






