प्रेमानंद महाराज जी (सौ.सोशल मीडिया)
Premanand Ji Maharaj: मौजूदा समय में प्रेमानंद जी महाराज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं, क्योंकि उनके आध्यात्मिक उपदेश, राधा रानी के प्रति अटूट भक्ति और सादगीपूर्ण जीवनशैली के कारण उन्हें पूरे देश और विदेश में भी काफी ख्याति मिली है।
लाखों श्रद्धालु, जिनमें आम भक्त से लेकर बड़ी हस्तियाँ तक शामिल हैं, उनसे मिलने और आशीर्वाद लेने के लिए वृंदावन के उनके आश्रम, श्री हित राधा केलि कुंज में आते हैं। सनातन धर्म में पूजा-पाठ का बड़ा महत्व हैं। ऐसे में हर कोई यही चाहता है कि उसके द्वारा की गई पूजा-पाठ में कोई भी कमी ना हो। ऐसे में लोग अपने-अपने तरीके से पूजा-पाठ के दौरान सब कुछ विधि विधान से करना चाहते हैं।
लेकिन, एक शख्स ने प्रेमानंद महाराज जी से सवाल किया कि हमें कैसे पता चलेगा कि भगवान हमसे प्रसन्न हैं या नाराज? इस सवाल का जवाब प्रेमानंद महाराज जी ने बड़ी ही खूबसूरती से दिया। आइए जानते है प्रेमानंद महाराज ने इस बारे में क्या बताया।
प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि जब हमारा मन अच्छे कामों में लगने लगे। जब हमें संत प्रिय लगने लगे। जब हमें शास्त्र के वचन पूर्ण श्रद्धा पूर्ण सत्य लगने लगे। जब हमें बुजुर्गों में भगवान की सेवा करने के भाव से सुकून मिलने लगे।
जब हमें पशु-पक्षियों में भी भगवान की भावना आने लगे तो जान लीजिए कि भगवान हमसें प्रसन्न हैं। उन्होंने आगे कहा कि जब इसके विपरीत आचरण होने लगे तो जान लीजिए कि हमारी बुद्धि अब भ्रष्ट हो गई है। ऐसा लगने लगे कि अब जो होगा वो बड़ा ही अमंगल होगा क्योंकि विपरीत बुद्धि हो चुकी है।
उन्होंने आगे कहा कि भगवान तभी प्रसन्न हैं जब उनकी आज्ञा के हिसाब से चलें। उनकी प्रसन्नता इसी में है कि हमें शास्त्रों के बारे में पता हो। अगर हम खुद नहीं कर पाते हैं तो संत लोगों से हमें ये चीजें पता चलती है।
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भगवान तभी प्रसन्न होंगे जब उनकी आज्ञा के हिसाब से चलेंगे। अगर हम उनकी आज्ञा के अनुसार ना चलकर विपरीत चल रहे हैं तो वो हमसे प्रसन्न नहीं हैं। भगवान की प्रसन्नता हमें भगवद स्मृति कराती है, सत शास्त्रों में चलाती है और असत आचरणों से बचाती है।