Hindi news, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest Hindi News
X
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • धर्म
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • करियर
  • टेक्नॉलजी
  • हेल्थ
  • ऑटोमोबाइल
  • वीडियो
  • चुनाव

  • ई-पेपर
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • राजनीति
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • क्राइम
  • नवभारत विशेष
  • मनोरंजन
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़
  • वायरल
  • अन्य
    • ऑटोमोबाइल
    • टेक्नॉलजी
    • करियर
    • धर्म
    • टूर एंड ट्रैवल
    • वीडियो
    • फोटो
    • चुनाव
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • क्राइम
  • लाइफ़स्टाइल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • राजनीति
  • बिज़नेस
  • ऑटोमोबाइल
  • टेक्नॉलजी
  • धर्म
  • वेब स्टोरीज़
  • करियर
  • टूर एंड ट्रैवल
  • वीडियो
  • फोटो
  • चुनाव
In Trends:
  • Bihar Assembly Election 2025 |
  • Aaj ka Rashifal |
  • ICC Women’s Cricket World Cup |
  • Donald Trump |
  • Weather Update |
  • Share Market
Follow Us
  • वेब स्टोरीज
  • फोटो
  • विडियो
  • फटाफट खबरें

एक भयंकर डाकू कैसे बन गया अमर महर्षि, जानिए डाकू रत्नाकर के महर्षि वाल्मीकि बनने की कहानी

Valmiki Jayanti: आश्विन पूर्णिमा का दिन धार्मिक दृष्टिकोण से तो शुभ माना ही जाता है। साथ ही रामायण रचयिता महर्षि वाल्मीकि के प्रकटोत्सव होने के कारण भी इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

  • By सीमा कुमारी
Updated On: Oct 07, 2025 | 12:58 PM

डाकू रत्नाकर कैसे बने महर्षि वाल्मीकि (सौ.सोशल मीडिया)

Follow Us
Close
Follow Us:

Maharishi Valmiki Jayanti 2025: भगवान राम की जीवनगाथा रामायण की रचना करने वाले महर्षि वा​ल्मीकि की जयंती आज 07 अक्टूबर 2025 को मनाई जा रही है। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण जैसा महाकाव्य रचा, लेकिन वाल्मीकि को महर्षि की पदवी कठोर तप के बाद मिली। महर्षि वाल्मीकि के जीवन को देखते हुए शायद ही कोई इस बात को मान सकता है कि ऐसा इंसान डाकू भी रहा होगा।

हिंदू धर्म में आश्विन पूर्णिमा का दिन धार्मिक दृष्टिकोण से तो शुभ माना ही जाता है। साथ ही रामायण रचयिता महर्षि वाल्मीकि के प्रकटोत्सव होने के कारण भी इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं प्रभु राम के भक्त कहलाने वाले और संस्कृत रामायण की रचना करने वाले वाल्मीकि अपने प्रारंभिक जीवन में एक डाकू हुआ करते थे और उनका नाम रत्नाकर था। ऐसे में आइए जानते हैं रामभक्ति में लीन होकर डाकू रत्नाकर कैसे बन गए महर्षि वाल्मीकि-

डाकू रत्नाकर कैसे बने महर्षि वाल्मीकि

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि, पौराणिक कथाओं के अनुसार वाल्मीकि का प्रारंभिक नाम रत्नाकर हुआ करता था। इनका जन्म अंगिरा गोत्र के ब्राह्मण कुल में हुआ था। कहा जाता है कि बचपन में रत्नाकर का अपहरण एक भीलनी ने कर लिया था और उसने ही इनका लालन-पालन किया। भील जिस तरह अपने गुजर-बसर के लिए लोगों को लूटते थे उसी तरह रत्नाकर ने भी यही काम शुरू कर दिया।

किस घटना के रत्नाकर डाकू बने साधु

एक बार रत्नाकर ने नारद मुनि को भी जगंल में लूटने का प्रयास किया। जब नारद मुनि ने कहा कि, तुम यह अपराध क्यों कर रहे हो। तब रत्नाकर ने कहा कि, इसी काम से मेरा और मेरे परिवार का भरण-पोषण होता है।

नारद जी ने रत्नाकर को कर्मों की बात बताई और कहा कि, जिस काम को करके तुम अपने परिवार का भरण-भोषण रह रहे क्या वो तुम्हारे साथ तुम्हारे पापों का भागीदर बनने के लिए भी तैयार होंगे।

तब रत्नाकर ने नारद जी को एक पेड़ से बांध दिया और इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए अपने घर चले गए।

उसने अपने परिवार वालों से कहा कि क्या तुम सब मेरे पाप में भागीदार बनने और इसकी सजा भुगतने लिए तैयार हो। तब परिवार का कोई भी सदस्य उसके पाप में भागीदार बनने को राजी नहीं हुआ।

रत्नाकर ने वापस जंगल जाकर नारद मुनि को स्वतंत्र किया और क्षमा मांगी। तब नारद जी ने उन्हें राम का नाम जपने और सही मार्ग पर चलने का उपदेश दिया।

‘मरा-मरा’ जपते हुए वाल्मीकि बने रामभक्त

रत्नाकर जब राम-राम जपना चाहते थे तो उनके मुख से मरा-मरा शब्द निकल रहा था। राम का उल्टा नाम जपता देख नारद मुनि ने उससे कहा तुम मरा-मरा ही जपो तुम्हें राम अवश्य मिलेंगे।

इसी तरह राम (Lord Ram) का नाम जपते जपते रत्नाकर तपस्या में लीन हो गए और उनके शरीर पर दीमकों ने बांबी बना ली। वह तपस्या में ऐसे लीन हुए कि दिन-रात,माह और वर्षों का पता नहीं लगा।

ये भी पढ़ें-इस साल करवा चौथ पर ये दो अतिशुभ महासंयोग, विधिवत पूजा से दूर होंगे सारे संकट!

ऐसे पड़ा महर्षि वाल्मीकि नाम

रत्नाकर की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने दर्शन दिए। रत्नाकर के शरीर पर दीमकों का पहाड़ बन गया। इसलिए उन्होंने रत्नाकर को वाल्मीकि का नाम दिया, क्योंकि दीपकों के घर को वाल्मीक कहा जाता है। साथ ही ब्रह्माजी ने रत्नाकर को रामायण की रचना करने के लिए प्रेरणा भी दी।

इसके बाद से रत्नाकर को वाल्मीकि के नाम से जाना जाता है। इस तरह राम का नाम जपते हुए डाकू रत्नाकर महर्षि वाल्मीकि बन गए।

How a dreaded bandit became the immortal sage

Get Latest   Hindi News ,  Maharashtra News ,  Entertainment News ,  Election News ,  Business News ,  Tech ,  Auto ,  Career and  Religion News  only on Navbharatlive.com

Published On: Oct 07, 2025 | 12:58 PM

Topics:  

  • Religion
  • Sanatana Dharma

सम्बंधित ख़बरें

1

आज का राशिफल-07 अक्टूबर 2025: कर्क-सिंह और कन्या राशियों का होगा भाग्योदय, जानिए बाकियों का राशिफल

2

करवा चौथ पर चांद को मिट्टी के करवे से ही अर्घ्य देने का खुल गया रहस्य, त्रेतायुग से है विशेष संबंध

3

इस साल करवा चौथ पर ये दो अतिशुभ महासंयोग, विधिवत पूजा से दूर होंगे सारे संकट!

4

अहोई अष्टमी व्रत में बिल्कुल न करें ये गलतियां, निष्फल जाएगी पूजा

Popular Section

  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़

States

  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्यप्रदेश
  • दिल्ली NCR
  • बिहार

Maharashtra Cities

  • मुंबई
  • पुणे
  • नागपुर
  • ठाणे
  • नासिक
  • अकोला
  • वर्धा
  • चंद्रपुर

More

  • वायरल
  • करियर
  • ऑटो
  • टेक
  • धर्म
  • वीडियो

Follow Us On

Contact Us About Us Disclaimer Privacy Policy
Marathi News Epaper Hindi Epaper Marathi RSS Sitemap

© Copyright Navbharatlive 2025 All rights reserved.