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महाभारत के ऐसे महाविनाशक अस्त्र जिनके आगे परमाणु बम भी हैं फेल

महाभारत में कई विनाशकारी और घातक अस्त्रों का प्रयोग किया गया था। आज के समय में ये अस्त्र परमाणु बम को भी फेल कर सकते हैं। इनकी शक्तियों को देखकर दुश्मन खुद ही मैदान से भाग खड़ा होगा।

  • By प्रीति शर्मा
Updated On: Apr 29, 2025 | 03:01 PM

महाभारत के ऐसे महाविनाशक अस्त्र जिनके आगे परमाणु बम भी हैं फेल

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नवभारत डेस्क: प्राचीन भारत का महाकाव्य महाभारत केवल धर्म और नीति का संगम नहीं है बल्कि इसमें ऐसे रहस्मयी और विनाशकारी अस्त्रों का उल्लेख भी मिलता है जिनकी शक्ति आज के आधुनिक हथियारों यानी परमाणु बम से भी अधिक मानी जाती है। ग्रंथों और पुराणों के अनुसार हजारों वर्ष पूर्व ऋषि-मुनियों और योद्धाओं के पास इस तरह के दिव्य अस्त्र हुआ करते थे। कहते हैं कि ये अस्त्र इतने शक्तिशाली होते थे कि एक ही वार से पूरी पृथ्वी पर प्रलय ला सकते थे। इन अस्त्रों की क्षमता इतनी प्रबल होती थी कि यह संपूर्ण धरती को प्रभावित कर सकती थी। इन अस्त्रों की तुलना आज परमाणु बम, हाइड्रोजन बम या अन्य आधुनिक हथियारों से की जा सकती है।

ब्रह्मास्त्र

इस शक्तिशाली और विनाशकारी अस्त्र का नाम स्वयं भगवान ब्रह्मा के नाम पर रखा गया है। यह अस्त्र उन योद्धाओं के लिए था जो उच्च तपस्या, बह्मज्ञान और आध्यात्मिक योग्यता रखते हों। इसे विनाश का अंतिम अस्त्र भी कहा गया है। इस अस्त्र को रोकने के लिए दूसरा ब्रह्मास्त्र छोड़ना पड़ता था। महाभारत में अर्जुन, कर्ण, भगवान कृष्ण, युधिष्ठर, अश्वत्थामा और द्रोणाचार्य इसे चलाने की शक्ति रखते थे। मान्यताओं के अनुसार इस अस्त्र की नोक पर ब्रह्मा जी के पांचों सिर प्रकट होते थे।

पाशुपतास्त्र

पाशुपतास्त्र महाभारत और अन्य पुराणों में वर्णित सबसे शक्तिशाली और रहस्यमयी अस्त्रों में से एक है। यह भगवान शिव के सबसे विनाशक हथियार के रुप में गिना जाता है। इस अस्त्र को भगवान शिव ने स्वयं अर्जुन को प्रदान किया था। क्योंकि वह अर्जुन की तपस्या से प्रसन्न हुए थे। कहा जाता है कि इस अस्त्र को चलाने की क्षमता केवल उन योद्धाओं में होती है जो अत्यंत तपस्वी, संयम और ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण रखते हों। इसकी खासियत है कि यह एक ही पल में पूरे संसार को तबाह कर सकता है। माना जाता है कि इस खास अस्त्र को रोकने की क्षमता सिर्फ शिव जी के त्रिशूल और विष्णु जी के सुदर्शन चक्र में थी।

नारायणास्त्र

महाभारत में वर्णित यह सबसे घातक और दिव्य अस्त्र भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे उनका निजी अस्त्र भी माना जाता है। इस अस्त्र का इस्तेमाल करते ही इसे धारण करने वाले योद्धा की शक्ति दोगुनी हो जाती है। महाभारत काल में इस अस्त्र का प्रयोग अश्वत्थामा ने पांडवों को खत्म करने के लिए किया था। उस समय स्वयं भगवान कृष्ण ने सभी से नारायणास्त्र से बचने के लिए आत्मसमर्पण  की बात कही थी।  इस अस्त्र को एक बार ही चलाया जा सकता है। इसे रोकने या काटने का और कोई तरीका नहीं है।

वसावी शक्ति

महाभारत में वर्णित यह सबसे शक्तिशाली और विनाशकारी अस्त्र वसावी शक्ति यानि इंद्र देव की शक्ति का प्रतीक है। इस अस्त्र  को केवल एक ही बार प्रयोग किया जा सकता था। बता दें कि यह एक बार में ही अविनाशी समझे जाने वाले योद्धा का अंत कर सकता था। यह अस्त्र कर्ण को इंद्र देव के द्वारा प्रदान किया गया था। कर्ण  इस अस्त्र का उपयोग अर्जुन का वध करने के लिए करना चाहते थे  लेकिन किसी कारणवश इसका उपयोग उन्होंने भीम पुत्र घटोत्कच पर किया।

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बह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र, नारायणास्त्र जैसे अस्त्र सिर्फ शारीरिक शक्ति ही नहीं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति से भी संचालित होते थे। यह इस बात का प्रतीक है कि उस युग में संयम और ज्ञान कितना महत्वपूर्ण था। इन अस्त्रों पर सिर्फ महापुरुषों और ऋषियों का ही अधिकार था जिनके आगे आधुनिक हथियार कुछ भी नहीं हैं।

Highly destructive weapons of mahabharata where nuclear bombs are fail

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Published On: Apr 29, 2025 | 03:01 PM

Topics:  

  • Lifestyle News
  • Nuclear Bomb
  • Religion

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