नवरात्रि के ये है 7 महत्वपूर्ण नियम (सौ.सोशल मीडिया)
Shardiya Navratri Niyam 2025: शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जो हर साल भारत सहित दुनिया भर के कई देशों में मनाया जाता है जहाँ हिंदू समुदाय के लोग निवास करते हैं, जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, फिजी, दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस आदि।
इस वर्ष 2025 में शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर, सोमवार से शुरू हो रही है और 1 अक्टूबर तक चलेगी। इस दौरान केवल पूजा करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि कुछ नियमों का पालन करना भी बेहद जरूरी है। आइए जान लेते नवरात्रि 2025 में पालन करने योग्य 7 प्रमुख नियम।
शास्त्रों के अनुसार, जगत जननी मां दुर्गा की पूजा हमेशा एक निश्चित समय पर करें। सुबह या संध्या समय में पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है। नियमित समय पर पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है और पूजा का प्रभाव अधिक होता है।
नवरात्रि के 9 दिनों में केवल सात्विक भोजन का सेवन करें। मांसाहार, नॉनवेज और मदिरा का सेवन पूरी तरह वर्जित है। कुछ भक्त इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन भी करते हैं। फल, दूध, दही और विशेष नवरात्रि व्यंजन इस समय खाने योग्य होते हैं।
यदि आपने अखंड ज्योति जलाई है, तो इसे पूरे नवरात्रि के दौरान लगातार जलता रखें। मान्यता है कि ज्योति का बुझना अशुभ संकेत होता है और इससे पूजा का प्रभाव कम हो सकता है।
नवरात्रि के प्रत्येक दिन माता दुर्गा के अलग-अलग रूप की पूजा की जाती है। इसलिए उस दिन की देवी के अनुसार भोग, फूल और अन्य प्रसाद अर्पित करें। इससे पूजा का महत्व बढ़ता है और देवी की कृपा अधिक मिलती है।
कन्या पूजन नवरात्रि का एक प्रमुख हिस्सा है। आप रोजाना एक कन्या की पूजा कर सकते हैं या अष्टमी/नवमी को नौ कन्याओं का एक साथ पूजन कर सकते हैं। कन्याओं को सम्मानपूर्वक भोजन और दान-पुण्य देकर उन्हें आशीर्वाद दें।
भक्तों का विश्वास है कि नवरात्रि के दौरान बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। महिलाएं खुले बालों के साथ पूजा न करें और पूजा करते समय पुरुष व महिलाएं दोनों अपने सिर को ढकें। यह नियम नवरात्रि की पवित्रता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
यदि आपने घर में कलश स्थापना की है, तो नवरात्रि के 9 दिनों तक घर खाली न छोड़ें। कलश स्थापना के समय यह नियम पूजा की सफलता के लिए आवश्यक माना जाता है।
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शारदीय नवरात्रि के दौरान इन नियमों का पालन करने से न केवल पूजा का प्रभाव बढ़ता है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी आती है। इसलिए हिन्दू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है।