मां पार्वती से सीखनी चाहिए ये 5 बातें (सौ.सोशल मीडिया)
Sawan 2025:सावन का पावन महीना अभी चल रहा है। यह महीना शिव भक्ति और अराधना के लिए जाना जाता है। इस महीने शिवभक्त महादेव की पूजा अर्चना करते है और मनोकामनाएं पूर्ति के लिए प्रार्थना भी करते हैं। इस दौरान शिव भक्त विशेष रूप से शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, बेलपत्र, धतूरा और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करते हैं, और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप भी करते हैं।
कहते हैं कि सावन में अगर कोई लड़की व्रत रखती है तो उसे अच्छे वर की प्राप्ति होती है। वहीं शादीशुदा लोगों का रिश्ता खुशहाल होता है। ऐसा करने से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आपको बता दें कि देवी पार्वती को एक आदर्श पत्नी के रूप में पूजा जाता है। आइए जानते है इस बारे में-
आपको बता दें, उनका जीवन प्रेम, समर्पण, धैर्य और त्याग का प्रतीक माना जाता है। शिव-पार्वती का रिश्ता न सिर्फ आध्यात्मिक दृष्टि से जरूरी होता है, बल्कि ये एक मजबूत वैवाहिक संबंध की मिसाल भी पेश करता है। देवी पार्वती का अपने पति भगवान शिव के प्रति अटूट प्रेम, सेवा-भाव और सम्मान, आज भी महिलाओं के लिए प्रेरणा से कम नहीं है।
मौजूदा समय में रिश्ते ज्यादा टिकते नहीं हैं। लड़ाई झगडों से रिश्ते टूटने तक की नौबत आ जाती है। हालांकि, इसके पीछे पति-पत्नी दोनों ही जिम्मेदार होते हैं।
आपको बता दें, हर स्त्री को माता पार्वती से यह सीख लेनी चाहिए कि जिस प्रकार माता पार्वती भगवान शिव का हर परिस्थिति में साथ दिया। ठीक उसी प्रकार वो भी अपने पति का हर परिस्थिति में साथ दें। यही एक आदर्श पत्नी की पहचान होती हैं। इसलिए माता पार्वती को एक आदर्श पत्नी के रूप में पूजा जाता है।
माता पार्वती सिर्फ एक पत्नी ही नहीं थीं, उन्होंने भगवान शिव का हर परिस्थिति में साथ दिया। साथ ही माता पार्वती भगवान शिव की सखी बनकर उनका मार्गदर्शन भी करती थीं।
माता पार्वती का भगवान शिव से अटूट प्रेम था। उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कई जन्म लिए थे। वहीं पार्वती के रूप में माता ने हजारों वर्षों की तपस्या की थी। इस बात से हमें ये सीखने को मिलता है कि एक रिश्ते में त्याग और प्रेम का होना बेहद जरूरी है।
माता पार्वती में धैर्य की भावना भी थी। जैसा कि आप जानते है कि रिश्ते में धैर्य रखना भी बहुत जरूरी होता है। माता पार्वती ने शादी के बाद भी धैर्य को खोने नहीं दिया। आप सभी ने पढ़ा होगा कि भगवान शिव हमेशा ध्यान में रहते थे। ऐसे में माता उनका धैर्यपूर्वक इंतजार करती थीं।
माता ने कभी भी महादेव का तिरस्कार नहीं किया। सती के रूप में माता ने भगवान शिव के अपमान का बदला लेने के लिए आत्मदाह कर लिया था। पत्नी को हमेशा पति का सम्मान करना चाहिए।
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भगवान शिव बाकी देवताओं से अलग थे। वे भस्म लगाए रहते थे, उनके शरीर पर सर्प लिपटे रहते थे और वे श्मशान में वास करते थे, लेकिन माता पार्वती ने उन्हें वैसे ही अपनाया, जैसे वे थे। इससे हमें ये सीख मिलती है कि पति को बदलने की कोशिश न करें। वो जैसे हैं आपको उनके साथ वैसे ही रहना चाहिए।