कैंची धाम की मिट्टी से करें ये एक उपाय (सौ.सोशल मीडिया)
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम, नीम करोली बाबा का एक प्रसिद्ध आश्रम है, जो अब लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बन गया है। यहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा नीम करौली के दर्शनों के लिए आते हैं। कैंची धाम को ‘कैंची’ नाम इसलिए मिला है क्योंकि यह दो पहाड़ियों के बीच स्थित है, जिनकी आकृति कैंची के समान है।
आपको बता दें, बाबा नीम करोली महाराज को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है और उनके भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि कैंची धाम की मिट्टी में चमत्कारिक शक्तियां है। कैंची धाम की मिट्टी को बहुत पवित्र और समस्याओं को दूर करने वाली माना जाता है। यदि आप कैंची धाम जाते हैं, तो वहां से थोड़ी सी मिट्टी को पूरी श्रद्धा के साथ एक साफ कपड़े या छोटी पोटली में लेकर आएं।
यदि आप स्वयं नहीं जा सकते, तो किसी ऐसे व्यक्ति से अनुरोध कर सकते हैं, जो वहां जा रहा हो, या किसी विश्वसनीय ऑनलाइन स्रोत से प्राप्त करने का प्रयास कर सकते हैं, हालांकि स्वयं लाना सबसे उत्तम माना जाता है।
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ज्योतिषयों के अनुसार, प्रतिदिन स्नान करने के बाद, इस मिट्टी का एक छोटा सा अंश अपने माथे पर तिलक के रूप में लगाएं। तिलक लगाते समय मन ही मन “जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर” या “श्री राम जय राम जय जय राम” का जाप करें।
आप बाबा नीम करोली महाराज के नाम का जाप भी कर सकते हैं, जैसे “जय नीम करोली बाबा की”। तिलक लगाने के बाद, अपनी समस्याओं, दुखों या बीमारियों को दूर करने के लिए बाबा से सच्चे मन से प्रार्थना करें। विश्वास रखें कि उनकी कृपा से आपके सभी कष्ट दूर होंगे।
लोक मान्यता यह है कि कैंची धाम की मिट्टी में सकारात्मक ऊर्जा और बाबा का आशीर्वाद होने के कारण, इसे माथे पर लगाने से नकारात्मक शक्तियां और विचार दूर होते हैं।
कई भक्तों का अनुभव एवं विश्वास है कि इस मिट्टी के प्रयोग से शारीरिक कष्ट और बीमारियां कम होती हैं या दूर हो जाती हैं। कहते है धाम की मिट्टी एक प्रकार की औषधि यानी दवा के रूप में काम करती है, लेकिन यह आस्था पर आधारित हैं। नियमित रूप से इसे लगाने से मन को शांति मिलती है, चिंताएं कम होती हैं और आत्मविश्वास बढ़ता हैं।
ज्योतिष बताते हैं कि, सच्चे मन से और विश्वास के साथ इस उपाय को करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कैंची धाम की मिट्टी बाबा नीम करोली महाराज की प्रत्यक्ष उपस्थिति का प्रतीक मानी जाती है, जिससे भक्तों को उनका सीधा आशीर्वाद प्राप्त होता है।