
उत्पन्ना एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां (सौ.सोशल मीडिया)
Utpanna Ekadashi 2025 par kya karen : 15 नवंबर को अगहन महीने की एकादशी यानी उत्पन्ना एकादशी मनाई जाएगी। यह एकादशी सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। शास्त्रों के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी का व्रत हर साल मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है।
कहा जाता है कि, यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से जीवन में अनजाने में किए गए पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन, इस व्रत के कुछ जरूरी नियम भी होते हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी भी होता है। ऐसे में आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी के नियमों के बारे में-
ज्योतिषियों के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी के दिन भूलकर भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो, एकादशी के दिन चावल खाना पाप माना जाता है। कहा जाता है इस दिन सात्विक आहार में कुट्टू, सिंघाड़ा, साबूदाना आदि का सेवन कर सकते हैं।
उत्पन्ना एकादशी के दिन बाल कटवाना, नाखून काटना और दाढ़ी बनवाना अशुभ माना जाता हैं। ये सभी कार्य एकादशी व्रत के नियमों के विरुद्ध हैं और व्रत की पवित्रता को कम करते हैं। व्रत के दिन केवल स्नान पर ध्यान दें और सात्विक दिनचर्या अपनाएं।
इस दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, पहले यानी दशमी तिथि से लेकर द्वादशी तक, घर में लहसुन, प्याज, मांसाहार और शराब जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन पूर्ण रूप से वर्जित होता है। ये चीजें व्रत की पवित्रता को भंग करती हैं व्रत वाले दिन इन चीजों का सेवन करने से व्रत का फल नष्ट हो जाता है।
एकादशी के दिन शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से शुद्ध रहना आवश्यक है। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है। इसके साथ ही, व्रत के दिन किसी के साथ झगड़ा, क्रोध, बुराई या मन में बुरे विचार लाने से बचना चाहिए। मन को शांत रखकर केवल भगवान विष्णु के नाम का जप करना चाहिए।
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व्रत रखने जितना ही महत्वपूर्ण है, व्रत का पारण यानी व्रत को खोलना सही समय पर करना। एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि में ही किया जाता है। इसलिए हमेशा पंचांग देखकर पारण का शुभ मुहूर्त जानने के बाद ही व्रत खोलना चाहिए।






