(सौजन्य सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क : ज्योतिष शास्त्र में कई तीज-त्योहारों की तरह कजरी तीज व्रत का भी बहुत महत्व माना गया है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल तीन बार तीज मनाई जाती है। इस दिन सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए व्रत करती है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला कजरी तीज का व्रत इस साल 21 और 22 अगस्त को पड़ रहा है।
कजरी तीज का व्रत भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां पार्वती ने सबसे पहले कजरी तीज का व्रत रखा था। इसीलिए इस दिन सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए शिवजी और मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा करती हैं और व्रत करती है। मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए भी इस दिन कन्याएं व्रत करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से जातकों का वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहता है और पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम की प्रगाढ़ता और अधिक बढ़ जाती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। इस साल कजरी तीज 21 अगस्त शाम 5:10 से शुरू हो रही है और इसका समापन 22 अगस्त दोपहर 1:50 पर होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार कजरी तीज 22 अगस्त को गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5:50 से लेकर सुबह 7:30 तक रहेगा। अन्य शुभ मुहूर्त दोपहर 12: 20 से लेकर 3: 35 तक रहेगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कजरी तीज का व्रत सबसे पहले मां पार्वती ने रखा गया था। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा व्रत करने से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करवा चौथ के व्रत की ही तरह रखा जाता है। इस दिन शाम के वक्त चंद्र देव के दर्शन-पूजन और अर्घ्य के बाद व्रत खोला जाता है। इस व्रत पर कई जगह नीम के पेड़ की पूजा भी की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इसमें निमड़ी माता का निवास रहता है।