कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
नई दिल्ली: लालू प्रसाद यादव के बेटे तेज प्रताप यादव को अपनी प्रेम कहानी उजागर होने पर परिवार और पार्टी से निष्कासन का सामना करना पड़ा था। यह पहला उदाहरण नहीं है जब किसी सियासतदान की प्रेम कहानी सामने आई हो। कई ऐसे नेता हैं, जिनके निजी जीवन में ऐसी घटनाएं घटी हैं।
सियासी गुलशन में तमाम मशहूर प्रेम कहानियां पुष्पित और पल्लवित हुईं। लेकिन जिस तरह तेज प्रताप यादव और बाबू जगजीवन राम का राजनैतिक बगान बियाबान हुआ वैसा किसी और के साथ नहीं हुआ। हम आपके लिए ऐसे ही कुछ सियासतदानों की फेहरिस्त लेकर आए हैं, तो चलिए जानते हैं…
उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेताओं ने भले ही यह न कहा हो लेकिन लगभग सभी जानते थे कि दिग्गज नेता नारायण दत्त तिवारी के कई महिलाओं से संबंध थे। जीवन के अंतिम दौर में उन्हें इन संबंधों के कारण अपमान भी झेलना पड़ा लेकिन यह चर्चा कभी उनके राजनीतिक जीवन के आड़े नहीं आई।
उत्तर प्रदेश की बात करें तो सुल्तानपुर की पूर्व रियासत के वारिस संजय सिंह ने अपनी पत्नी के जीवित रहते हुए अमिता सिंह से विवाह किया था। अमिता सिंह मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की पत्नी थीं। सैयद मोदी की हत्या कर दी गई थी। मोदी की मौत के बाद हुई इस शादी के बाद भी संजय सिंह की राजनीतिक पकड़ पर कोई असर नहीं पड़ा।
संजय सिंह व अमिता सिंह (सोर्स- सोशल मीडिया)
कभी अपने अखाड़े, वादे और लंगोटी पक्के के लिए मशहूर रहे यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव ने दूसरी शादी कर ली। लेकिन उनके जानने वाले दबी जुबान में चर्चा करते रहे कि मुलायम सिंह के पहली पत्नी के जीवित रहते भी दूसरों से संबंध थे। मुलायम सिंह के समर्थक नेताजी से जुड़े रहे।
कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के बारे में भी यही कहा जा सकता है कि उन्होंने अपने निजी जीवन का असर अपनी राजनीति पर बिल्कुल नहीं पड़ने दिया। बल्कि लंबी पदयात्रा करके कांग्रेस को और मजबूती दी। उनकी तस्वीरें भी वायरल हुईं, लेकिन उन्होंने ईमानदारी दिखाई और शादी कर ली।
दिग्विजय सिंह व अमृता राय (सोर्स- सोशल मीडिया)
सियासी घराने से विवाहेत्तर प्रेम और परिणय का सबसे बड़ा उदाहरण शशि थरूर हैं, जिन्हें प्रेम संबंधों के सार्वजनिक होने के बाद भी नुकसान उठाने की बजाय फायदा मिला। जिसके बाद वह और अधिक प्रसिद्ध और लोकप्रिय हो गए।
सोशल मीडिया के इस दुष्प्रचार से पहले भी स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व उप- प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम को अपने बेटे सुरेश राम के रिश्ते के कारण बिहार में सबसे बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। एक समय ऐसा भी था जब ऐसा लग रहा था कि जगजीवन राम स्वतंत्र भारत के दलित वर्ग से पहले प्रधानमंत्री बनेंगे। फिर उनके बेटे की एक महिला के साथ आपत्तिजनक तस्वीरें प्रकाशित हुईं और वे इतिहास नहीं रच पाए।
तेज प्रताप और अनुष्का को माफी न मिलने का पहला कारण उनका राजनीतिक विरोध है। बिहार में भाजपा और नीतीश कुमार दोनों ही महिलाओं के हितैषी बनकर काम कर रहे हैं। जबकि तेज प्रताप पहले से ही अपनी पहली पत्नी ऐश्वर्या राय के साथ कथित मारपीट और तलाक के मामले में कठघरे में हैं।