सचिन पायलट (फोटो- सोशल मीडिया)
प्रयागराजः महाकुंभ में आम जनता के साथ देश के बड़े बड़े नेताओं के आने का सिलसिला जारी है। इसी कड़ी में कांग्रेस महासचिव व पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी संगम पहुंचकर स्नान किया। उनकी इस धार्मिक यात्रा को लेकर राजनीतिक चर्चाएं शुरू हो गई हैं। बता दें कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के संगम में स्नान करने की सूचना मिली थी, लेकिन कांग्रेसी अभी तक इंतजार ही कर रहे हैं। इसका कारण कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे महाकुंभ को लेकर की गई टिप्पणी को माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि गंगा में स्नान करने से गरीबी नहीं दूर होगी। धर्म के नाम पर लोगों को बहलाया जा रहा है।
अब सचिन पायलट ने संगम में स्नान किया तो राजनीतिक चर्चाएं शुरू हो गई। क्योंकि सचिन पायलट गांधी परिवार के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं। इसके अलावा उनका सियासी कद भी बड़ा है। हालांकि इससे पहले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार संगम में स्नान कर चुके हैं। इसके अलावा अन्य विपक्षी दलों के बड़े नेताओं में सिर्फ अखिलेश यादव का संगम में स्नान सार्वजनिक है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी महाकुंभ को लेकर यूपी की योगी सरकार पर निशाना साध रही है। इसके चलते पार्टी के बड़े नेताओं ने अब तक संगम में स्नान नहीं किया। लेकिन सचिन पायलट ने इस परंपरा को तोड़ते हुए खुद महाकुंभ में शामिल होकर नया संदेश दिया।
सचिन पायलट ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “आज श्रद्धा और आस्था के प्रतीक महाकुंभ में संगम स्नान किया। इस पवित्र अवसर पर देश-प्रदेश की प्रगति एवं खुशहाली की कामना करता हूं।” उन्होंने महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं की भागीदारी पर खुशी जताई और इस आयोजन को आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर बताया।
महाकुंभ में आज पतित पावनी सलिला के पावन जल का आचमन और संगम तट पर त्रिवैणी घाट पर स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जय गंगा मैया,
हर-हर गंगे, हर-हर महादेव! pic.twitter.com/z7ZK0EN8Df — Sachin Pilot (@SachinPilot) February 13, 2025
देश की सभी बड़ी ख़बरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हालांकि, पायलट ने अपने दौरे को पूरी तरह धार्मिक रखा और मीडिया से किसी भी राजनीतिक मुद्दे पर चर्चा नहीं की। बावजूद इसके, उनके महाकुंभ जाने को लेकर सियासी अटकलें तेज हो गई हैं। क्या यह कांग्रेस के भीतर उनकी बढ़ती सक्रियता का संकेत है, या फिर किसी नई रणनीति का हिस्सा? इस पर सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है।