क्या आपको भी लगा है कि कुछ घंटे कुछ ही देर में खत्म हो गए हैं? ऐसा है तो आप बिल्कुल भी अकेले नहीं हैं।
हलांकि कई लोग देखते हैं कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है। समय के बारे में हमारी धारणा भी बदलती है। दिन और साल तेज़ी से बीतने लगते हैं।
जिससे हम सोचते हैं कि आखिर क्या बदल गया क्या ये केवल हमारी व्यस्त ज़िंदगी है, या हमारे दिमाग में कुछ और भी गहरा चल रहा है?
बता दें कि उम्र के साथ ही दिमागी छवियों में बदलाव के दर की समझ भी कम होती जाती है।
समय के साथ जैसे ही हमारे तंत्रिका मार्ग ख़राब होते जाते हैं, हमारे मस्तिष्क को नई जानकारी को प्रोसेस करने में अधिक समय लगता है।
इससे घड़ी की एक ही अवधि में हम दिमाग में कम छवियां बना पाते हैं जिससे समय तेजी से गुजरता दिखता है।
कम नए अनुभवों के साथ, हमारा दिमाग समान दिनों और हफ्तों को एक साथ जोड़ देता है।
और इससे ऐसा महसूस हो सकता है कि समय अधिक तेज़ी से बीत रहा है। क्योंकि एक अवधि को दूसरे से अलग करने के लिए कम यादगार घटनाएं होती हैं।