संजय मल्होत्रा ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 26वें गवर्नर के रूप में आज सुबह केंद्रीय बैंक के मुख्यालय पहुंचे, जहां आरबीआई के वरिष्ठ कर्मचारियों ने उनका स्वागत किया।
राजस्थान के 1990 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी मल्होत्रा के पास बिजली, वित्त तथा कराधान जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता के साथ सार्वजनिक नीति में तीन दशक से अधिक का अनुभव है।
वो ऐसे समय में केंद्रीय बैंक की कमान संभालने जा रहे हैं जब अर्थव्यवस्था धीमी वृद्धि दर और उच्च मुद्रास्फीति की दोहरी चुनौती का सामना कर रही है।
उनके पूर्ववर्ती शक्तिकान्त दास के अनुसार वृद्धि और मुद्रास्फीति का संतुलन अस्थिर हो गया है।
जीडीपी वृद्धि दर जुलाई-सितंबर में घटकर सात तिमाहियों में सबसे निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर रही है। वहीं अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
विश्लेषकों को उम्मीद है कि आरबीआई फरवरी में होने वाली आगामी नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती करेगा और उनका मानना है कि मल्होत्रा की नियुक्ति से यह संभावना पुख्ता हो गई है।
दास ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मानक ब्याज दर को करीब दो साल से अपरिवर्तित रखा है।
सरकार ने आरबीआई को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है।