17 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई है जो अनंत चतुर्दशी से ही शुरु हो जाते है। इस पितृ पक्ष के दौरान वंशज अपने पितरों को मोक्ष की प्राप्ति और शांति दिलाने के लिए श्राद्ध की प्रक्रिया करते है। इस दौरान शुभ कार्य वर्जित रहते है तो वहीं पर पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं और पिंड दान करते हैं। इसके लिए भारत में कई ऐसी जगहें है जो इस अनुष्ठान के लिए ही जानी जाती है चलिए जानते है।
एकादशी श्राद्ध (सौ.फाइल फोटो)
सर्व पितृ अमावस्या(सौ.सोशल मीडिया)
वाराणसी (उत्तर प्रदेश)- पितृ पक्ष में खास जगहों में से एक उत्तरप्रदेश धार्मिक राज्य है जहां पर कई जगहें आपको मिलेगी। इसमें ही बनारस को सबसे प्राचीन शहरों में गिना जाता है। इसे महाकाल की नगरी और मोक्ष की नगरी भी कहा जाता है। यहां पर पिंडदान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गया (बिहार)- पितृ पक्ष के दौरान यहां पर श्राद्ध कर्म करना सबसे विशेष माना जाता है। यहां पर केवल राज्य नहीं देशभर से लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए आते है।यहां फल्गु नदी पर आज भी विष्णु जी का निवास है, जिस वजह से इस पवित्र स्थान पर पिंडदान करने से पूर्वजों को शांति मिलती है।
हरिद्वार (उत्तराखंड)- उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है तो वहीं पर पितृ पक्ष के दौरान यह जगह भी खास मानी जाती है। यहां भी गंगा तट है, जिस वजह से ऐसी मान्यता है कि यहां पर पिंडदान करने से पूवर्जों की आत्मा को शांति मिलती है और आत्मा को मोक्ष भी प्राप्त होता है।
अयोध्या ( उत्तर प्रदेश )-श्रीराम की नगरी अयोध्या सरयू नदी के तट पर बसी है। इस नदी के किनारे भी पिंडदान करना काफी अच्छा माना जाता है। पितृपक्ष के मौके पर पूर्वजों के श्राद्ध व पिंडदान के लिए सरयू के तट पर आयोजन होता है। यहां पंडित विधिविधान से पूजा कराते हैं।
बद्रीनाथ (उत्तराखंड)- यहां पर चारधामों में से एक बद्रीनाथ को भी पिंडदान करने के लिए खास मानते है। कहते है इस जगह पर पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है तो वहीं पर यहां कई घाट है जिस पर अनुष्ठान करना चाहिए।
इलाहाबाद ( उत्तर प्रदेश )- पितृ पक्ष के दौरान इलाहाबाद में भी पिंडदान करने का महत्व होता है यहां पर पंडितों के द्वारा अनुष्ठान करने से पितरों को शांति मिलती है।