Goverdhan Puja 2025: हिंदू धर्म में दीपोत्सव के मौके पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा गोवर्धन पर्वत बनाकर करते है। गाय के गोबर से भगवान श्रीकृष्ण और पर्वत की आकृति बनाने का महत्व होता है।
गोवर्धन पूजा में गोबर का महत्व (सौ. सोशल मीडिया)
Govardhan Puja 2025: देशभर में गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में दीपोत्सव के मौके पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा गोवर्धन पर्वत बनाकर करते है। गाय के गोबर से भगवान श्रीकृष्ण और पर्वत की आकृति बनाने का महत्व होता है। गाय के गोबर से किस तरीके से गोवर्धन पर्वत मनाए जाते है चलिए जानते है।
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने देखा कि ब्रजवासी भगवान इंद्र की पूजा की तैयारी कर रहे हैं। कृष्ण जी ने उनसे कहा कि इंद्र की नहीं, बल्कि गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि वही उन्हें उपजाऊ भूमि, जल, घास और सुरक्षा प्रदान करता है। कृष्ण जी की बात मानकर ग्रामवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। इससे इंद्र देव नाराज हो गए और उन्होंने मूसलाधार वर्षा कर दी। तब श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और ब्रजवासियों को उसकी छाया में शरण दी। इसके बाद से यह गोवर्धन पूजा की जाती है।
गाय के गोबर से घर में गोवर्धन पर्वत बना सकते है। इसके लिए सबसे पहले गाय का ताजा गोबर लें और उसे थोड़ी देर खुली हवा में रख दें ताकि उसमें से अतिरिक्त नमी निकल जाए। फिर गोबर को दोनों हाथों से मिलाकर पर्वत के आकार में गूंथें। इसमें छोटी-छोटी पहाड़ियों, झाड़ियों और रास्तों की आकृति बना सकते हैं। आप प्रदर्शनी की तरह कई चीजों की सहायता से सजावट भी कर सकते है।
गोवर्धन पर्वत बनने के बाद शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाकर पर्वत के सामने रखें। दीपक को जलाने से पहले भगवान श्रीकृष्ण का नाम लेकर प्रार्थना करें। इसके बाद पूजा करने के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण को खीर, पूड़ी, सब्जियां, मिठाइयां और अन्य शाकाहारी व्यंजन अर्पित करें।
गोवर्धन पूजा में आप गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के अलावा गायों की पूजा करें और उन्हें गुड़-चारा खिलाएं। दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार पर रखें ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहें। इसके अलावा अगले दिन तक गोवर्धन पर्वत को उसी स्थान पर रखें और बाद में सूखने पर उसका उपयोग हवन आदि में करना चाहिए।
गाय के गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का महत्व वैज्ञानिक रूप से भी जरूरी होता है। गोबर में प्राकृतिक जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो वातावरण को शुद्ध करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाते हैं।