Winter Mela Guide: सर्दियों के मौसम की शुरुआत हो गई है। इस मौसम में हर कोई घूमने का प्लान बनाते है विंटर वेकेशन भी इस दौरान ही होता है। देश के कई हिस्सों में पारंपरिक संस्कृति की झलक बिखेरते मेले का भी आयोजन होता है। राजस्थान से लेकर गुजरात में कई जगहें ऐसी है जहां पर आप मेले आयोजित होते है आप इन जगहों पर परिवार या दोस्तों के साथ घूमने जा सकते है।
रण उत्सव- गुजरात के कच्छ में रण उत्सव का आयोजन होता है जो हर साल सर्दियों के समय होता है। इस बार 23 अक्टूबर 2025 से शुरू होकर 4 मार्च 2026 रण उत्सव चलने वाला है। गुजरात पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित इस मेले में स्वादिष्ट खाने के साथ ही लोक नृत्य और संगीत का अनमोल मेल देखने के लिए मिलता है। इस मेले का मुख्य आकर्षण केंद्र धोरडो गांव के पास बनी ‘टेंट सिटी’ है। वहीं पर इस मेले में हैंडमेड चीजों के साथ ही ऊंट की सवारी भी की जाती है।
सोनपुर मेला- बिहार में छठ पर्व के बाद इस मेले की धूम होती है। इस मेले की शुरुआत 9 नवंबर से हो रही है जो 10 दिसंबर तक चलेगा। यह मेला खासतौर पर पशुओं के लिए होता है। यहां के खास आकर्षण में घुड़दौड़, सोनपुर लिटरेरी फेस्टिवल, पुस्तक मेला, डॉग शो, सैंड आर्ट फेस्टिवल और भव्य गंगा आरती की जाती है। इस मेले में झूला झूलने की परंपरा भी होती है।
पुष्कर ऊंट मेला- राजस्थान के पुष्कर में इस मेले की धूम देखने के लिए मिलती है। यहां पर ऊंट बड़ी संख्या में नजर आते है। इस दौरान आपको ऊंटों की दौड़ और कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखने के लिए मिलते है। इस साल यह मेला 22 अक्टूबर से 5 या 6 नवंबर तक आयोजित हो रहा है। अगर आपको राजस्थान की संस्कृति भांति है तो आप इस मेले को परिवार या दोस्तों के साथ एक्सप्लोर कर सकते है।
हॉर्नबिल फेस्टिवल- नागालैंड में इस मेले या उत्सव की झलक नजर आती है। इस साल यह मेला 1 से 10 दिसंबर तक आयोजित होने वाला है। राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा यह मेला छुट्टियों को एक्सप्लोर करने के लिए बेस्ट है। यहां पर आदिवासी मोरंग, पारंपरिक खेल और हैंडमेड चीजें देखने को मिलेगी. इसके अलावा यहां खानपान की भी कई स्टॉल होती है। पारंपरिक नृत्य भी इस मेले की खासियत है।
मरुस्थल महोत्सव- राजस्थान घूमने जा रहे है तो आप जैसलमेर में रेगिस्तान महा उत्सव को देखना न भूले। दरअसल यह मेला या उत्सव हर साल यह फरवरी में होता है, इसलिए अगले सात 2026 की फरवरी इसे होने की जानकारी है। इस मेले को लेकर कहा जाता है कि, पारंपरिक लोग संगीत, ऊंट दौड़, कठपुतली शो, आदिवासी नृत्य, स्थानीय प्रोतियोगिता और कल्चरल प्रोग्राम आयोजित होते है।