'मेरी आवाज ही पहचान है गर याद रहे' यह गाना हर पल उनकी याद दिलाता है। वही जिनकी आवाज की दुनिया कायल थी। 6 फरवरी 2022 को गायिका लता मंगेशकर ने इस दुनिया को अलविदा कहा। आज उनके निधन को 3 साल हो गए। उनके जीवन से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जो अनसुने हैं। आइए उनकी यही अनसुनी यादें करते हैं तस्वीरो के माध्यम से ताजा। (सभी फोटो सोर्सःसोशल मीडिया)
लता दीदी का पहले नाम हेमा था। बाद में उनके पिता ने अपने नाटक भाव बंधन की लीड फीमेल कैरेक्टर लतिका से प्रभावित होकर उनका नाम लता रख दिया। पहले लता दीदी के पिता का नाम दीनानाथ अभिषेकी था, लेकिन वो चाहते थे कि उनकी आगे की पीढ़ी का नाम बिल्कुल अलग हो। उनके पुरखों के गांव का नाम मंगेशी था और कुलदेवता का नाम मंगेश। इस तरह उन्होंने अपना सरनेम मंगेशकर कर लिया।
मास्टर गुलाम हैदर और लता से जुड़ा एक किस्सा बहुत चर्चित था। फिल्ममेकर शशधर मलिक एक ‘शहीद’ नाम की फिल्म बना रहे थे, जिसमें गुलाम हैदर संगीत दे रहे थे, लेकिन जब उन्होंने लता की आवाज शशधर को सुनाई तब उन्होंने उनकी आवाज को बहुत पतला बताकर रिजेक्ट कर दिया था। जिसके बाद मास्टर गुलाम को ये बात चुभ गई और उन्होंने लता को स्टार बनाने की ठान ली।
स्वर कोकिला लता मंगेशकर की शादी से जुड़ा सवाल हमेशा उठता रहा कि आखिर उन्होंने शादी क्यों नहीं की। इस बात पर लता ने एक इंटरव्यू के दौरान अपनी शादी ना करने की वजह बताई थी। उन्होंने कहा था कि बहुत कम उम्र में उन पर जिम्मेदारी आ गई थी। मेरे पास बहुत सारा काम था। सोचा था सबको सेटल करके शादी-परिवार बसाउंगी, लेकिन फिर बहन की शादी हो गई और उनके बच्चे संभालने लगी।
ऐसा ही एक किस्सा लता मंगेशकर का मोहम्मद रफी के साथ था। मीडिया रिपोर्ट्स की खबरों के अनुसार दोनों में किसी बात को लेकर लगभग चार साल तक अनबन थी। इस बीच लता ने उनके साथ गाना गाने से मना कर दिया था। दोनों ने एक साथ कई सदाबहार गाने दिए हैं, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में इस अनबन की वजह गाने के लिए मिलने वाली रॉयल्टी को बताया गया, जिस पर दोनों के अलग-अलग विचार थे। हालांकि बाद में फिर दोनों की बातचीत शुरू हुई और दोनों ने फिर एक साथ काम करना शुरू कर दिया।
33 साल की उम्र में लता दीदी स्वर कोकिला बन चुकी थीं। किसी को उनकी तरक्की से इतनी जलन थी कि उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश की। ये उनकी जिंदगी का सबसे कठिन और भयानक दौर था। इस वजह से उन्हें 3 महीने तक बेड पर रहना पड़ा। शरीर इस कदर कमजोर हो गया था कि वो बेड से उठ भी नहीं पाती थीं, चलना तो दूर की बात थी। उनके इस कठिन समय में कवि मजरूह सुल्तानपुरी उनका सहारा बने।
पिता ने की थी भविष्यवाणी कि कभी शादी नहीं करेंगी। लता दीदी के पिता दीनानाथ मंगेशकर ज्योतिष भी थे। उन्होंने पहले ही कह दिया था कि वो कभी शादी नहीं करेंगी। उन्होंने लता दीदी की मां से कहा था- देखना, यह एक दिन नामी सिंगर भी बनेगी।
द गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सबसे ज्यादा गीत गाने का रिकॉर्ड दर्ज 1974 में लता दीदी के नाम सबसे अधिक 25,000 गीत गाने का रिकॉर्ड दर्ज किया गया था। इस रिकॉर्ड पर मोहम्मद रफी का कहना था कि यह नंबर गलत है। दीदी ने 28,000 से ज्यादा गाने गाए थे। वहीं, पूरे करियर में उन्होंने 50 हजार से ज्यादा गीतों को अपनी आवाज दी है।
सफेद साड़ी से रहा गहरा लगाव। लता दीदी को कॉटन की साड़ियां बेहद पसंद थीं। वहीं, वो रंग-बिरंगी साड़ियों की जगह सफेद साड़ी पहनना पसंद करती थीं। सफेद साड़ी पहनने पर उनका कहना था- मेरे व्यक्तित्व पर सफेद रंग सही ढंग से खिलता है और लोगों को भी शायद मैं सफेद साड़ी में ही ठीक लगती हूं।
कभी खुद का गाना ना पर्दे पर देखा और ना सुना। लता दीदी ने कई गाने गाए, लेकिन कभी भी उन्होंने खुद का गाना ना फिल्मी पर्दे पर देखा और ना ही सुना। उनका मानना था कि वो सुनने के बाद खुद के गाए गाने में कमी निकाल देंगी।