"सामाजिक क्रांतिकारी": छत्रपति शिवाजी महाराज, जिन्होंने अपनी मां जिजाऊ मांसाहेब को सती होने से रोका था, एक "सामाजिक क्रांतिकारी" थे...! जिन्होंंने कई सामाजिक कार्य कीए। कई कुरितियों को हजपार किया।
"लोकपालक": यह "लोकपालक" राजा ही थे जिन्होंने आदेश दिया था कि रैयत की सब्जी का डंठल भी नहीं छूना चाहिए...! छत्रपती के शासनकाल में किसानों की स्थिती बहुत बेहतर थी।
"अच्छे प्रशासक": वह पहले "अच्छे प्रशासक" थे जिन्होंने हाथ में तलवार और मापने वाला फीता लेकर भूमि को मापा और उसका रिकॉर्ड रखा...! उनके प्रशासन में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त कार्य था।
"पर्यावरणविद": "पर्यावरणविद" वे लोग थे जिन्होंने बिना कारण और बिना मुआवजा दिए पेड़ों को काटने वालों को नए पेड़ लगाकर दंडित किया...! यह अपने आप में एक ई पहल थी। उन्होंने कई एसे फैसले लिए जो सभा पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए लिए गए।
"स्वधर्मी": वे एक "स्वधर्मी" थे जिन्होंने हिन्दू धर्म में समुद्री यात्रा पर रोक का विरोध किया, नौसेना का निर्माण किया और आधुनिक नौसेना की नींव रखकर यह संदेश दिया कि धर्म से बड़ा देश है...! आज कई रिसर्च हुए लेकिन उनके काल में और उनके द्वारा नौसेना का जो विकास किया गया वह काबिले तारिफ है।
अंधविश्वास मिटाने का संदेश: बिना शुभ मुहूर्त देखे, अमावस्या की रात्रि में, जिसे अशुभ माना जाता था, उन्होंने सभी लड़ाइयां लड़ीं और सभी लड़ाइयां जीतकर "अंधविश्वास मिटाने का संदेश देने वाले चिकित्सकों के राजा" बन गए। वह अंधविश्वास से परे थे और सभी को यही समझ भी देते थे।
"जल विशेषज्ञ": छत्रपति शिवाजी द्वारा 350 वर्ष पूर्व शुरू की गई शिवयुगीन जल संग्रहण प्रणाली आज भी उतनी ही प्रभावी है! "जल विशेषज्ञ" राजा छत्रपति शिवाजी!! वे जल की महती जाणते थे इसलिए उसे बचाने के हरसंभव प्रयास करते।
"महान इंजीनियर राजा": वर्ष पूर्व जब संचार साधनों का अभाव था, 100 से अधिक अभेद्य किलों के निर्माता, "महान इंजीनियर राजा"। इन सबकी प्रचिती गढ- किलो से अच्छे से आ जाती है।
रखी सामाजिक क्रांति की नींव: सभी जातियों और धर्मों के गरीबों को समान न्याय दिलाकर सामाजिक क्रांति की नींव रखने वाले राजा!! सभी के साथ समता समभाव से बर्ताव यह उनके व्यक्तित्व की खरी पहचान है।
"मातृ-प्रेमी और महिलाओं के रक्षक": छत्रपति शिवाजी महाराज, एक "मातृ-प्रेमी और महिलाओं के रक्षक", जो महिलाओं के साथ सम्मान से पेश आते थे और अन्य महिलाओं को अपनी माँ मानते थे। इतनाही नही महीलाओं के प्रती उनके उच्च विचार सभी को ज्ञात है।
"जनता के राजा": पूरी दुनिया में केवल छत्रपति शिवाजी महाराज के दरबार में ही मनोरंजन के लिए न तो नर्तकियों को नचाया जाता था और न ही शराब के प्याले परोसे जाते थे। सही मायनों में वे "जनता के राजा" थे, क्योंकि उन्होंने धर्म और जाति से परे जाकर खुशहाल जनता का सपना देखा था। यही सच्ची शिवशाही थी.....! शिव जन्मोत्सव के अवसर पर सभी शिव प्रेमियों को शिव जन्मोत्सव की हज़ार करोड़ शुभकामनाएँ।