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जन्मदिन विशेष: पिता की मौत, कांग्रेस से बगावत और जेल का सफर, फिर भी CM बनने से नहीं रोक पाई कोई ताकत

Jagan Mohan Reddy Birthday Special: वाई एस जगनमोहन रेड्डी 21 दिसंबर 2025 को अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। आंध्र प्रदेश की राजनीति में जगन रेड्डी एक ऐसा नाम है जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

  • By अभिषेक सिंह
Updated On: Dec 21, 2025 | 05:47 AM

सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ जगन मोहन रेड्डी (सोर्स- सोशल मीडिया)

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Jagan Mohan Reddy: वाई एस जगनमोहन रेड्डी 21 दिसंबर 2025 को अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। आंध्र प्रदेश की राजनीति में जगन रेड्डी एक ऐसा नाम है जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वे वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और राज्य के कद्दावर नेताओं में उनकी गिनती होती है। पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के बेटे होने के नाते उन्हें विरासत में सियासत मिली, लेकिन उनका रास्ता आसान नहीं था। एक सफल बिजनेसमैन से लेकर विपक्ष के नेता बनने तक, उनका सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है।

जगन मोहन का जन्म 21 दिसंबर 1972 को आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में हुआ था। जगन ने अपनी शुरुआती पढ़ाई हैदराबाद पब्लिक स्कूल से पूरी की और बाद में निजाम कॉलेज से स्नातक किया। उनके पास बी. कॉम और एमबीए की डिग्री भी है, जो उनकी व्यावसायिक समझ को दर्शाती है। साल 1996 में वे शादी के बंधन में बंधे और उनकी दो बेटियां हैं। राजनीति में आने से पहले उन्होंने कर्नाटक के संदूर में एक पावर कंपनी लगाकर अपने बिजनेस करियर की शुरुआत की थी, जिसे बाद में उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों तक फैलाया।

सत्ता का संघर्ष और कांग्रेस से बगावत

जगन रेड्डी का बिजनेस अम्पायर 2004 के बाद तेजी से बढ़ा जब उनके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी राज्य के मुख्यमंत्री बने। इस दौरान उनका कारोबार खनन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सीमेंट और मीडिया जगत तक फैल गया। वे मशहूर तेलुगू अखबार साक्षी और साक्षी टीवी के फाउंडर भी हैं। राजनीति में उनकी एंट्री की इच्छा 2004 में ही थी, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया। आखिरकार 2009 में वे कडप्पा से सांसद चुने गए। लेकिन उसी साल एक हेलिकॉप्टर क्रैश में उनके पिता की मौत ने सबकुछ बदल दिया। पिता के निधन के बाद आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली हो गई और जगन इसे भरना चाहते थे।

जगन मोहन रेड्डी (सोर्स- सोशल मीडिया)

हालांकि, कांग्रेस आलाकमान ने उनकी इस मंशा को पूरा नहीं होने दिया और के रोसैया को मुख्यमंत्री बना दिया गया। जगन ने दिल्ली तक दौड़ लगाई और सोनिया गांधी से भी मुलाकात की, लेकिन यह साफ हो गया कि पार्टी उन्हें सीएम नहीं बनाएगी। दूसरी तरफ, राज्य में राजशेखर रेड्डी की मौत के सदमे से कई समर्थकों की जान चली गई थी। जगन ने इन परिवारों से मिलने के लिए 2010 में ओडारपु यात्रा शुरू की। कांग्रेस ने इसका विरोध किया, लेकिन जगन नहीं रुके। इसी दौरान मुख्यमंत्री रोसैया को इस्तीफा देना पड़ा और किरण कुमार रेड्डी नए सीएम बने। आखिरकार, बगावत का बिगुल फूंकते हुए 29 नवंबर 2010 को जगन ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया।

सीबीआई का शिकंजा और नई पार्टी

कांग्रेस छोड़ने के बाद जगन ने मार्च 2011 में ‘युवर्जना श्रमिक रितु कांग्रेस’ (वाईएसआर कांग्रेस) नाम से अपनी नई पार्टी बनाई। मई 2011 में हुए उपचुनावों में उन्होंने कडप्पा लोकसभा सीट से और उनकी मां वाईएस विजया ने पुलिवेंदुला विधानसभा सीट से भारी मतों से जीत हासिल की। साल 2014 के विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 175 में से 67 सीटों पर कब्जा जमाया और जगन विधानसभा में विपक्ष के नेता बने। हालांकि, जैसे-जैसे उनका राजनीतिक कद बढ़ा, वैसे-वैसे उनकी कानूनी मुश्किलें भी बढ़ती गईं। विपक्ष ने उनकी संपत्ति को लेकर सवाल खड़े कर दिए।

यह भी पढ़ें: संसद-जर्मनी और 5 पन्नों ‘तूफानी’ लेटर! 6 वजहों से राहुल की छुट्टी, सोनिया ने प्रियंका को सौंपी कमान?

विवाद तब गहराया जब 2011 के चुनावी हलफनामे में उनकी संपत्ति 350 करोड़ रुपये से ज्यादा पाई गई। विरोधियों ने पूछा कि इतनी दौलत कहां से आई। कांग्रेस के एक मंत्री शंकर राव और तेलुगू देशम पार्टी के नेताओं की याचिका पर हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दे दिया। आरोप लगा कि जगन की कंपनियों में निवेश करने वालों को उनके पिता की सरकार ने फायदे पहुंचाए थे। इसी मामले में मई 2012 में सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।

आंध्र प्रदेश के सीएम बने जगन मोहन रेड्डी

करीब 16 महीने जेल में रहने के बाद सितंबर 2013 में उन्हें जमानत मिली। तमाम विवादों के बावजूद जगन रेड्डी की लोकप्रियता उनके समर्थकों के बीच कायम रही। इस लोकप्रियता का नतीजा यह हुआ कि साल 2019 के आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में 151 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए इतिहास रच दिया और वह आंध्र के सीएम की कुर्सी पर काबिज हो गए। हालांकि पिछले चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा।

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Published On: Dec 21, 2025 | 05:47 AM

Topics:  

  • Birthday Special
  • Indian History
  • Indian Politics
  • YS Jaganmohan Reddy

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