देश में इमजरेंसी यानि आपातकाल की घोषणा के 50 साल बीत गए है लेकिन कोई भी उस काले दिन का गम भुला नहीं सका। आज से 50 साल पहले तक वर्ष 1975 में 25-26 जून की मध्यरात्रि को हुई थी। इस दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अगुवाई वाली सरकार ने बिगड़ते हालातों को देखकर इमरजेंसी लगा दी थी।
इमरजेंसी की घोषणा के बाद भी हालात बेकाबू हो रहे थे। इमरजेंसी लगते ही विपक्ष के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, प्रेस पर सेंसरशिप लागू कर अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली।
देश में आपातकाल की घोषणा पहली बार नहीं हुई थी इससे पहले भी देश में इमरजेंसी लगी थी। लेकिन इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान की इमरजेंसी ने देश में भूचाल ला दिया था।भारत में अबतक कुल तीन बार (1962, 1971 और 1975) आपातकाल लग चुका है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार है।
इमरजेंसी की घोषणा होने के बाद कई नियमों में बदलाव हुए है। यहां पर इमरजेंसी लागू होने के बाद लोगों के मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया और मिसा यानी मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत सभी विपक्षी दलों के नेताओं को जेल में डाल दिया गया। उस दौरान 21 महीने की इमरजेंसी थी जिसकी समयावधि 6 महीने की थी।
आंकड़ों के मुताबिक, देश में पहली बार इमरजेंसी की घोषणा की गई थी। इसमें आपातकाल 26 अक्टूबर 1962 से 10 जनवरी 1968 के बीच लगा था इस दौरान देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे। आपातकाल लगाने की वजह भारत और चीन के बीच चल रहे युद्ध से थी। ‘भारत की सुरक्षा को बाहरी आक्रमण से खतरा घोषित किया गया था’इस वजह से इमरजेंसी लगी थी।
इसके अलावा दूसरी बार इमरजेंसी की घोषणा 3 से 17 दिसंबर 1971 के बीच हुई थी। इस दौरान बताया जाता है कि, भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था और देश की सुरक्षा को खतरा देखते हुए इमरजेंसी लगाई गई थी। उस दौरान देश के राष्ट्रपति वीवी गिरी थे।