Basant Panchami 2025: हिंदू धर्म में हर त्योहार का महत्व होता है इसमें ही आने वाले 2 फरवरी को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाने वाला है। इस दिन माता सरस्वती की पूजा का विधान होता है। वहीं पर पूजा के दौरान पीला रंग धारण करने के साथ कई नियमों का पालन किया जाता है। चलिए जानते हैं भारत के किन राज्यों में कैसा होता है बसंत पंचमी का सेलिब्रेशन।
बिहार- बसंत पंचमी का आयोजन इस राज्य में बेहद खास होता है यानि यहां पर सुबह नहाने के बाद पीले रंग के कपड़े पहनते है और माथे पर हल्दी का तिलक लगाया जाता है। इसके अलावा माता सरस्वती को भोग में मालपुए और सादे बेसन की पकौड़ी दिए जाते है। गीत-संगीत का भी आयोजन इस खास मौके पर होता है।
उत्तरप्रदेश- बसंत पंचमी के मौके पर इस राज्य में हर्षोल्लास का माहौल होता है यहां पर पूजन के नियम होते है। इसके अलावा माता सरस्वती को पीले रंग के फूल, पीले रंग की मिठाई या पीले चावल अर्पित किए जाते हैं। जैसा कि, जानते है माता सरस्वती विद्या की देवी है इसके लिए इस दिन किताबों की पूजा करने का महत्व होता हैं औऱ इसके अलावा माता सरस्वती संगीत की देवी भी कही जाती है इसके लिए इस दिन वाद्य यंत्रों को मां के चरणों मे अर्पित किया जाता है।
उत्तराखंड- उत्तरप्रदेश के बाद इस राज्य को देव की भूमि के रूप में जानते है। इस दिन पूजा के दौरान लोग फूल, पत्ते और पलाश की लकड़ी चढ़ाकर देवी सरस्वती की पूजा करते है। इसके अलावा यहां पर माता सरस्वती की पूजा के अलावा भगवान शिव और मां पार्वती की भी उपासना करते हैं. पीले वस्त्र पहनते हैं इसके अलावा वे पीले रुमाल का इस्तेमाल भी करते हैं यहां पारंपरिक केसर हलवा बनाया जाता है। पतंग भी उड़ाई जाती है।
पश्चिम बंगाल- बसंत पंचमी का इस राज्य में महत्व होता है इस दिन माता सरस्वती की पूजा के अलावा माता दुर्गा की भी आराधना की जाती है। इस दौरान पूजन के लिए बड़े पंडाल सजते है तो वहीं पर इस दिन माता सरस्वती को पलाश के फूल, पीले चावल और बूंदी के लड्डू अर्पित करने की मान्यता है। इसके अलावा बसंत पंचमी के दिन बंगाल में हाथेखोड़ी समारोह का आयोजन होता है और छोटे बच्चों को शिक्षा और विकास के लिए चॉक या पेंसिल पकड़ाते हैं और उन्हें कैसे लिखते हैं यह सिखाया जाता है।
पंजाब और हरियाणा- बसंत पंचमी का त्योहार इन दोनों राज्यों में हर्षोल्लास के साथ मनाते है। साथ ही आज के दिन लोग गुरुद्वारे जाते हैं, पतंग उड़ाते हैं, मक्के की रोटी, सरसों का साग, खिचड़ी और मीठे चावल पकाएं जाते है। इसके साथ ही खेतो में लहलहाती फसलों के बीच लोक गीत गाये जाते हैं।