प्रारंभिक संघर्ष और वैचारिक पहचान (1980-1990) - 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के समय महाराष्ट्र में उसका जनाधार बहुत सीमित था। लेकिन पार्टी ने शुरुआत से ही राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की विचारधारा को लेकर अपनी स्पष्ट पहचान बनाई। 1989 में शिवसेना के साथ भाजपा का गठबंधन हुआ, जिसने मुंबई और ठाणे जैसे शहरी इलाकों में उसे आधार बनाने का अवसर दिया। बाल ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और भाजपा के वैचारिक सामंजस्य ने इस गठबंधन को मजबूती दी।
पहली बड़ी सफलता: 1995 की सरकार - 1995 में शिवसेना-भाजपा गठबंधन ने महाराष्ट्र में पहली बार सरकार बनाई। इस सरकार में शिवसेना के मानोहर जोशी मुख्यमंत्री बने जबकि भाजपा के गोपीनाथ मुंडे उपमुख्यमंत्री बने। इस सफलता ने भाजपा को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचने का मौका दिया और राज्य की राजनीति में उसे एक स्थायी स्थान दिलाया।
विपक्ष में संगठन निर्माण (1999-2014) - 1999 से 2014 तक कांग्रेस-राकांपा (NCP) गठबंधन की सरकार रही, लेकिन इस दौरान भाजपा ने संगठनात्मक स्तर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ मिलकर गंभीर काम किया। नितिन गडकरी, देवेंद्र फडणवीस जैसे युवा नेताओं ने पार्टी को आधुनिक और कार्यकर्ता-आधारित संगठन के रूप में स्थापित किया। बूथ स्तर तक संगठन फैलाया गया और युवाओं को जोड़ा गया।
2014: मोदी लहर और भाजपा की सत्ता में वापसी - 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता ने भाजपा को महाराष्ट्र में जबरदस्त बढ़त दिलाई। पहली बार भाजपा राज्य की 'सबसे बड़ी पार्टी' बनकर उभरी। शिवसेना से शुरुआती टकराव के बावजूद देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया। यह भाजपा के लिए ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि पार्टी ने पहली बार महाराष्ट्र में नेतृत्व की भूमिका निभाई।
2019 के बाद की राजनीति और सत्ता की वापसी 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने फिर सबसे अधिक सीटें हासिल कीं, लेकिन गठबंधन की खटास के चलते शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा के साथ मिलकर सरकार बना ली। यह राजनीतिक घटनाक्रम भाजपा के लिए अस्थायी झटका था। हालांकि, 2022 में शिवसेना में फूट पड़ने के बाद एकनाथ शिंदे गुट ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली, और भाजपा एक बार फिर सत्ता में लौट आई।
2024 में बहुमत में आई बीजेपी की सरकार - 2024 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बड़ी छलांग लगाते हुए जीत हासिल की। हाल ही में संपन्न महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति ने कुल 288 निर्वाचन क्षेत्रों में से 230 सीटें हासिल कीं। भाजपा ने 132 सीटें जीतीं, जबकि उसके सहयोगी दल- मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 सीटें जीतीं, और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं। वहीं विपक्ष महाविकास अघाड़ी गठबंधन 46 सीटों में ही सिमट गया।
आज भाजपा महाराष्ट्र में एक सशक्त और संगठित राजनीतिक ताकत बन चुकी है। उसका संगठन शहरी से लेकर ग्रामीण इलाकों तक मजबूत हो चुका है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की रणनीति, स्थानीय नेताओं की मेहनत और नए सामाजिक समीकरणों ने भाजपा को महाराष्ट्र की राजनीति में केंद्र में ला खड़ा किया है। यह यात्रा न सिर्फ पार्टी की सफलता की कहानी है, बल्कि भारतीय राजनीति में बदलाव की भी मिसाल है।