Janmashtami 2025: भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानि जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाने वाली है। इस आयोजन को लेकर तैयारियां जोरो-शोरों से जारी है। भारत के कई राज्यों में जन्माष्टमी को लेकर परंपराएं और रीति-रिवाज मनाते है। कहीं दही हांडी तो कहीं पर गोकुलाष्टमी का नजारा सजता है। चलिए जानते हैं कहां , कितना खास होता है जन्माष्टमी का आयोजन।
उत्तर प्रदेश- इस राज्य में जन्माष्टमी का माहौल अनूठा नजर आता है। उत्तरप्रदेश के मथुरा और वृंदावन में धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इन जगहों के प्रसिद्ध मंदिरों में नंदलाला के जन्म को लेकर उत्साह देखते ही बनता है। जन्माष्टमी पर वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को बहुत खूबसूरत सजाया जाता है जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते है। दही हांडी से लेकर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।
महाराष्ट्र - भारत के इस राज्य महाराष्ट्र में जन्माष्टमी पर अलग ही माहौल होता है। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में कृष्ण जन्माष्टमी पर दही हांडी की परंपरा निभाई जाती है। इस परंपरा में गोविंदा नामक समूह ऊंचाई पर लटकाई गई हांडी को तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं। मुंबई के दादर औऱ लालबाग की दही हांडी काफी फेमस है यहां पर प्रतिस्पर्धाएं आयोजित होती है।
पश्चिम बंगाल- भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी का खास माहौल इस राज्य में भी नजर आता है। कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार 'नंदा उत्सव' के तौर पर मनाया जाता है।इस अवसर पर भक्त आधी रात तक उपवास रखते हैं और जब भगवान कृष्ण का जन्म होता है तो वे अपना उपवास तोड़ते हैं। नंदा उत्स्व के दौरान भगवान कृष्ण बाल रूप की प्रतिमा के लिए विशेष झूला सजाया जाता है। यहां पर बंगाली मिठाईयां भी बनाई जाती है।
गुजरात- भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी इस राज्य में हर्ष के साथ मनाई जाती है। कृष्ण जन्माष्टमी पर 'रास लीला' का प्रदर्शन किया जाता है इस दौरान गोपियों के साथ कृष्ण जी की चंचल बातचीत को नाटक के जरिए दिखाया जाता है।घर में चूरमा, पंजीरी और मोहनथाल जैसी पारंपरिक मिठाइयां तैयार की जाती हैं और कान्हाजी को भोग लगाई जाती है।
तमिलनाडु- जन्माष्टमी का माहौल इस राज्य में भी देखने के लिए मिलता है। यहां पर गोकुलाष्टमी मनाई जाती है औऱ साथ ही भक्त 'सीदाई' और 'मुरुक्कू' जैसी विभिन्न मिठाइयां और नमकीन तैयार करते है। गोकुलाष्टमी के मौके पर पूजा कक्ष की ओर जाने वाले रास्ते पर चावल के आटे से छोटे पैरों के निशान बनाए जाते है। यह भगवान के घर आने के संकेत की तरह होता है। इस आयोजन में झांकियों के जरिए श्रीकृष्ण की लीलाएं दिखाई जाती है।