ओडिशा विधानसभा में रात भर हंगामा।
भुवनेश्वर : लोकसभा में जहां वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर रात भर हंगामा होता रहा तो वहीं ओडिशा विधानसभा में विधायकों की नोकझोंक में पूरी रात गुजर गई। हाल ये रहा कि कई बार पक्ष और विपक्ष के नेताओं में तीखी नोकझोंक से माहौल इतना गर्मा गया कि हालात बेकाबू हो गए। इसके बाद भी सदन में दो विधेयक को सत्ताधारी दल ने चर्चा के बाद सुबह करीब 4 बजकर 29 मिनट पर पास कर दिया।
सदन की कार्यवाही में बीजू जनता दल के सदस्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विधानसभा में लंबी चर्चा और बहस के बाद ओडिशा विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2024 के साथ ही ओडि राज्य राजमार्ग प्राधिकरण विधेयक भी पास कर दिया गया। विरोध के बाद भी दोनों बिल ध्वनि मत से पास किए गए।
ओडिशा विधानसभा ने रातभर की चर्चा के बाद दो महत्वपूर्ण विधेयक ध्वनि मत से पारित किए। सदन की कार्यवाही में बीजू जनता दल (बीजद) के सदस्यों ने सक्रिय रूप से भाग लिया, लेकिन कांग्रेस विधायक सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए। विधानसभा में हुई चर्चा के बाद ओडिशा विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 और ओडिशा राज्य राजमार्ग प्राधिकरण विधेयक, 2025 को लंबी चर्चा के बाद ध्वनि मत से पारित किया गया।
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, डिप्टी सीएम प्रवति परिदा और करीब 12 मंत्री पूरी रात सदन में चर्चा के दौरान मौजूद रहे। करीब 12 घंटे से अधिक समय तक चली चर्चा के बाद सुबह चार बजकर 29 मिनट पर ओडिशा विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित हुआ। इस विधेयक में भर्ती और अन्य गतिविधियों के लिए विश्वविद्यालयों को अधिक स्वायत्तता देने का प्रावधान किया गया है। आठ बार के विधायक आरपी स्वैन, पूर्व मंत्री अरुण कुमार साहू, गणेश्वर बेहरा भी सदन में रहे।
विपक्षी दल के सदस्यों ने विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग की जाए क्योंकि मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है। उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने इन आरोपों का खंडन किया और सभी सवालों के जवाब दिए। इसके बाद ध्वनि मत से बिल पारित कर दिया गया। कार्य मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन द्वारा प्रस्तुत ओडिशा राज्य राजमार्ग प्राधिकरण विधेयक, 2025 को भी चर्चा के बाद पारित कर दिया गया।
देश की अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें
कांग्रेस सांसदों ने विधेयक को लेकर जमकर नारेबाजी और हंमागा किया। रात में कई बार सत्ताधारी दल के नेता और विपक्ष के नेता आमने सामने हुए। सदन की कार्यवाही भी कुछ देर के लिए रोकनी पड़ी। इसके बाद भी सदन भंग नहीं हुई। अंत में कांग्रेस के विधायकों ने सदन का बायकॉट कर दिया और विधानसभा से बाहर निकल गए।