मुंबई: साहित्य अकादमी ने हिंदी के प्रख्यात कवि एवं कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को शुक्रवार को अपनी ‘महत्तर सदस्यता’ से अलंकृत किया। साहित्य अकादमी के सर्वोच्च सम्मान की घोषणा सितंबर 2021 में की गई थी, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से विनोद कुमार शुक्ल को यह सम्मान नहीं दिया जा सका। साहित्य अकादमी ने एक बयान के जरिए इसकी जानकारी दी।
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साहित्य अकादमी ने बताया कि शुक्ल के रायपुर स्थित आवास पर संक्षिप्त पुरस्कार अलंकरण समारोह हुआ जिसमें साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक और सचिव के श्रीनिवासराव ने उन्हें अकादमी की महत्तर सदस्यता प्रदान की। बयान के मुताबिक, विनोद कुमार शुक्ल ने कहा है कि इस सम्मान को मेरे घर आकर देने के लिए मैं साहित्य अकादमी का आभार प्रकट करते हैं।
विनोद कुमार शुक्ल ने आगे कहा कि उन्होंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि इतना बड़ा सम्मान उन्हें प्राप्त होगा। एक जनवरी 1937 को राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ में जन्मे शुक्ल ने कविता-संग्रह ‘लगभग जयहिंद’ से अपनी रचनात्मक यात्रा शुरू की। विनोद कुमार शुक्ल ने वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह, सब कुछ होना बचा रहेगा, कविता से लंबी कविता और आकाश धरती को खटखटाता है जैसी कविताएं लिखीं।
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बयान के मुताबिक, विनोद कुमार शुक्ल ने ‘नौकर की कमीज’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ सरीखे उपन्यासों को भी कलमबद्ध किया। विनोद कुमार शुक्ल को गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, अखिल भारतीय भवानीप्रसाद मिश्र सम्मान, सृजन भारतीय सम्मान, रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार, रचना समग्र पुरस्कार एवं हिंदी गौरव सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित सम्मानों से अलकृंत किया जा चुका है।