(फोटो सोर्स-इंस्टाग्राम)
मुंबई: फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री अपनी अपकमिंग फिल्म ‘द दिल्ली फाइल्स’ के लिए पूरी तरह से रिसर्च में लगे हुए हैं। वह इस विषय की हर बारीकी को खंगालने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि दर्शकों के सामने इसकी असलियत को पेश किया जा सके, जैसा कि वह अपनी सभी फिल्मों के साथ करते हैं। हाल ही में, फिल्म मेकर ने अपने रिसर्च के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा का दौरा किया।
विवेक अग्निहोत्री ने इस दौरान अपनी यात्रा से कुछ बिहाइंड द सीन की तस्वीरें शेयर कीं हैं। इतना ही नहीं उन्होंने सीमा के भारतीय हिस्से में लोगों से इंटरव्यू करके जो जानकारी हासिल की, उसके बारे में भी बात की है। विवेक रंजन अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया पर अपने भारत-बांग्लादेश बॉर्डर की यात्रा से BTS तस्वीरें शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है कि जनवरी 2024, इंडो -बांग्लादेश बॉर्डर।
January 2024: Indo -Bangladesh border:
Six months ago, we were interviewing people on the Indian side of the Indian-Bangladesh Border for the research of my next film #TheDelhiFiles. I found these villagers were more aware of Bangladesh politics than Indian. They knew that a… pic.twitter.com/XHJj6mcywC
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) September 21, 2024
विवेक अग्निहोत्री ने बताया कि छह महीने पहले, मैं अपनी अपकमिंग फिल्म द दिल्ली फाइल्स के रिसर्च के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा के भारतीय हिस्से में लोगों का इंटरव्यू कर रहा था। मैंने पाया कि ये गांव वाले भारत से ज़्यादा बांग्लादेश की राजनीति के बारे में जानते थे। उन्हें पता था कि हसीना के खिलाफ़ विद्रोह होने वाला है। और वे सभी इसके समर्थक थे। इस सीमा पर यह तय करना लगभग असंभव है कि कौन भारतीय है और कौन नहीं। हिंदू संस्कृति के सभी रूप धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं।
ऐसा लगता है कि भारत के भीतर अभी भी ‘दो भारत’ मौजूद हैं। ‘जबरन जनसांख्यिकी परिवर्तन’ किसी क्षेत्र के साथ यही करता है, दो राष्ट्र। दो संविधान। पश्चिम बंगाल बहुत कमज़ोर है और मौजूदा सरकार वोट बैंक बनाकर अपने फ़ायदे के लिए ‘जनसांख्यिकी परिवर्तन’ का फ़ायदा उठा रही है। यही एक कारण है कि वह CAA और NRC के इतने ख़िलाफ थीं। राजनीतिक हिंसा बंगाल का मुख्य धन कमाने का उद्योग बन गया है।
विवेक अग्निहोत्री ने लॉकडाउन के पहले दिन से ही अपनी फिल्म के लिए रिसर्च शुरू कर दिया था। उन्होंने केरल से लेकर कोलकाता और दिल्ली तक यात्रा की और लोगों से मिलकर सारी जानकारी इकट्ठा की। उन्होंने अपनी फिल्म के लिए 100 से ज्यादा किताबें और 200 से ज्यादा लेख पढ़े, जो उनकी फिल्म की पटकथा को मजबूत बनाने में मदद करेंगे।
विवेक अग्निहोत्री ने और उनकी टीम ने 20 राज्यों में यात्रा की और 7000 से ज्यादा रिसर्च पेजेज और 1000 से ज्यादा आर्काइव आर्टिकल्स की स्टडी की है, जो उनकी फिल्म को और भी प्रभावी बनाने में मदद करेंगे। यह उनकी मेहनत और समर्पण को दर्शाता है कि वह अपने फिल्म को कितना महत्व देते हैं और कैसे वह अपने दर्शकों के लिए एक सच्ची और प्रभावी कहानी पेश करना चाहते हैं।