बाभुलगांव में बंद (सौजन्य-नवभारत)
Municipal Administration Maharashtra: बाभुलगांव संघर्ष समिति के सदस्यों पर नगर पंचायत के मुख्याधिकारी डॉ. पी. एस. सोटे द्वारा दर्ज किए गए कथित झूठे मामलों को वापस लेने तथा नगर पंचायत द्वारा की जा रही बढ़ी हुई टैक्स वसूली के विरोध में 26 दिसंबर को बाभुलगांव शहर बंद रखा गया था। इस बंद को व्यापारियों ने अपनी प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद रखकर शत-प्रतिशत समर्थन दिया और शहर में कड़ा बंद रखा गया।
विवादास्पद मुख्याधिकारी की मनमाने कार्यप्रणाली के विरोध में बाभुलगांव संघर्ष समिति आक्रामक हो गई है और उन्हें निलंबित करने की मांग की गई। नागरिकों ने तहसील कार्यालय तक मोर्चा निकालकर इस संबंध में तहसीलदार के माध्यम से जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर नायब तहसीलदार दिलीप बदकी ने ज्ञापन स्वीकार किया।
नगर पंचायत सभागृह में 23 दिसंबर को मुख्य अधिकारी डॉ. पी. एस. सोटे ने बढ़ी हुई टैक्स वसूली के विरोध में सुनवाई रखी थी तथा शहर के संपत्ति धारकों को नोटिस जारी किए गए थे। इसके अनुसार सुबह 11 बजे से बड़ी संख्या में संपत्ति धारक और उनके प्रतिनिधि नगर पंचायत सभागृह में उपस्थित थे। लेकिन इसके बाद मुख्य अधिकारी डॉ. पी. एस. सोटे ने बाभुलगांव पुलिस स्टेशन जाकर संघर्ष समिति के सदस्य नगरसेवक अभय ताटेड, धरमचंद छल्लाणी तथा अन्य कुछ नागरिकों के खिलाफ रिपोर्ट देकर मामले दर्ज कराए।
इस कथित अन्यायपूर्ण कार्रवाई के विरोध में शहर में कड़ा बंद रखा गया। इस दौरान सैकड़ों नागरिकों और महिलाओं ने भारतमाता चौक पर एकत्र होकर आंदोलन किया। कार्यक्रम में पूर्व नगराध्यक्ष बालासाहेब गौरकार, वर्तमान नगरसेवक व गटनेता अनिकेत पोहोकार, नगरसेवक चंद्रशेखर परचाके, अभय ताटेड, विलास खोडे, रामदास वातकर, मामा शुक्ला, सचिन माटोडे, चंद्रशेखर अडेकार, बाबा खान, जावेद राज, सचिन इंगोले, मंगला चन्ने, मेहरूंन बी, प्रशांत मेघे ने अपने विचार व्यक्त किए। संचालन रवींद्र काले ने किया।
बाभुलगांव नगर पंचायत ने वर्ष 2025-26 से 2028-29 की अवधि के लिए प्रस्तावित चतुर्थ वार्षिक कर मूल्यांकन निर्धारण हेतु नागरिकों को नोटिस भेजे थे। इन नोटिसों पर 8 अगस्त तक विधिसंगत लिखित आपत्तियां (हरकत) नगर पंचायत में दाखिल करने को कहा गया था।
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नोटिस में यह भी उल्लेख था कि यदि निर्धारित तिथि तक आपत्ति प्राप्त नहीं होती, तो प्रस्तावित कर को स्वीकृत माना जाएगा और आगे किसी प्रकार की शिकायत स्वीकार नहीं की जाएगी। इसी कारण नागरिकों ने आपत्तियां दर्ज कराईं। आरोप है कि 23 दिसंबर की सुनवाई के दौरान मुख्य अधिकारी ने नागरिकों की बात नहीं सुनी और उल्टा रूखा व अपमानजनक व्यवहार किया।
संघर्ष समिति के सदस्यों ने आरोप लगाया कि शहर के विकास और नागरिकों के हित में कार्य करते समय बिना कारण मामले दर्ज करना, नगर पंचायत में मनमाना कारभार चलाना, नगर पंचायत के कथित गैरप्रकारों को मूक सहमति देना और शहर में राजनीति करना ऐसे आरोप मुख्याधिकारी पर लगाए गए हैं।
समिति ने दर्ज की गई शिकायत को झूठी और भ्रामक बताते हुए जानबूझकर की गई कार्रवाई करार दिया और विवादास्पद मुख्य अधिकारी को तत्काल निलंबित करने की मांग की। इस संबंध में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, पालकमंत्री संजय राठोड, आदिवासी विकास मंत्री डॉ. अशोक उईके, पुलिस अधीक्षक, तहसीलदार तथा पुलिस निरीक्षक को ज्ञापन की प्रतियां भेजी गई हैं।